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नेशनल

गोडसे को देशभक्त बताने के बाद साध्वी को हो रहा पछतावा, प्रायश्चित करने के लिए करेंगी ये काम

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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की भोपाल लोकसभा सीट से प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने नाथुराम गोडसे पर दिए बयान पर माफी मांग ली है।

साध्वी ने ट्वीट कर कहा कि चुनावी प्रक्रियाओं के बाद अब समय है चिंतन मनन का, इस दौरान मेरे शब्दों से समस्त देशभक्तों को यदि ठेस पहुंची है तो मैं क्षमाप्रार्थी हूं। और सार्वजनिक जीवन की मर्यादा के अंतर्गत प्रयश्चित हेतु 21 प्रहर के मौन व कठोर तपस्यारत हो रही हूं। हरिः ॐ।

आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव प्रचार के कमल हासन के बयान पर पलटवार करते हुए साध्वी प्रज्ञा सिंह ने नाथूराम गोडसे को देशभक्त बता दिया था। कमल हासन के बयान के जवाब में उन्होंने कहा था, ”नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, देशभक्त हैं और देशभक्त रहेंगे।”

साध्वी के इस बयान में उनकी चौतरफा निंदा हुई थी। उनके बयान के बाद भाजपा ने भी इस बयान से किनारा कर लिया था। चुनाव आयोग ने साध्वी प्रज्ञा सिंह बयान के बारे में मध्यप्रदेश के सीईओ से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी।

विवाद बढ़ने पर साध्वी ने माफी मांगी और कहा, “अपने संगठन भाजपा में निष्ठा रखती हूं, उसकी कार्यकर्ता हूं और पार्टी की लाइन मेरी लाइन है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने साध्वी प्रज्ञा के बयान की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “गांधी जी या गोडसे के बारे में जो बयान दिए गए हैं वो बहुत खराब हैं और समाज के लिए बहुत गलत हैं। ये अलग बात है कि उन्होंने माफी मांग ली है, लेकिन मैं उन्हें मन से कभी माफ नहीं कर पाऊंगा।” इससे पहले साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने मुंबई हमले में शहीद हेमंत करकरे के ऊपर भी विवादित बयान दिया था।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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