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कोलकाता क्वालीफायर में, गंभीर ने वॉर्नर से चुकाया पुराना हिसाब

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बेंगलुरू। बारिश से बाधित इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 10वें संस्करण के एलिमिनेटर मैच में बुधवार देर रात हुए मुकाबले में एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में कोलकाता नाइट राइडर्स ने मौजूदा विजेता सनराइजर्स हैदराबाद को सात विकेट से हरा दिया। इस मैच में लगातार दूसरे साल कोलकाता और हैदराबाद एलिमिनेटर में आमने-सामने थे। पिछली बार डेविड वॉर्नर बाजी मार गए थे और इस बार गौतम गंभीर ने पिछली हार का हिसाब चुकता कर डाला।

कोलकाता की टीम अब शुक्रवार को दूसरे क्वालीफायर मैच में मुंबई इंडियंस से भिड़ेगी जबकि हैदराबाद का सफर इस आईपीएल में खत्म हो गया है।

कोलकाता ने पहले गेंदबाजी करते हुए हैदराबाद को निर्धारित 20 ओवरों में सात विकेट पर 128 रनों पर ही रोक दिया था। उसे जीत के लिए 129 रनों का लक्ष्य मिला था, लेकिन पहली पारी के अंत होने तक बारिश ने दस्तक दी जो बाद में तेज हुई और इसी कारण दूसरी पारी समय से शुरू नहीं हो पाई। तकरीबन तीन घंटे से ज्यादा इंतजार के बाद बारिश थमी और कोलकाता को डकवर्थ लुइस नियम के हिसाब से छह ओवरों में 48 रनों का संशोधित लक्ष्य मिला। इन छह ओवरों में दो ओवर पावर प्ले के थे।

इस बदले हुए लक्ष्य को कोलकाता ने चार गेंद शेष रहते हुए तीन विकेट खोकर हासिल कर लिया।

कोलकाता की रॉबिन उथप्पा (1) और क्रिस लिन (6) की सलामी जोड़ी ने सात रन ही टीम के खाते में जोड़े थे कि भुवनेश्वर ने पहले ओवर की तीसरी गेंद पर ही लिन को विकेट के पीछे नमन ओझा के हाथों कैच कराया। आउट होने से पहले लिन ने भुवनेश्वर पर छक्का जड़ा था। अगली गेंद पर यूसुफ पठान को भुवनेश्वर ने रन आउट किया।

अगले ओवर में क्रिस जार्डन ने उथप्पा को पवेलियन भेजा। लेकिन इसके बाद कप्तान गौतम गंभीर ने 19 गेंदों में दो छक्के और दो चौकों की मदद से 32 रनों की नाबाद पारी खेल अपनी टीम को जरूरी जीत दिलाई। उनके साथ ईशांक जग्गी पांच रन बनाकर नाबाद लौटे। दोनों ने चौथे विकेट के लिए 36 रनों की साझेदारी निभाई।

दूसरे क्वालीफायर को जीतने वाली टीम रविवार को फाइनल में राइजिंग पुणे सुपरजाएंट के खिलाफ खिताबी मुकाबला खेलेगी। इससे पहले, गंभीर ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला लिया। गेंदबाजों ने अपने कप्तान के फैसले को सही ठहराया और सटीक लाइन लेंथ के साथ डेविड वार्नर की आगुआई वाले हैदराबाद के बल्लेबाजों को हाथ नहीं खोलने दिए।

वार्नर और शिखर धवन (11) की सलामी जोड़ी 4.2 ओवरों में सिर्फ 25 रन ही जोड़ सकी थी कि उमेश यादव ने धवन को विकेट के पीछे रॉबिन उथप्पा के हाथों कैच करा हैदराबाद को पहला झटका दिया।

वार्नर के साथ केन विलियमसन (24) ने टीम के लिए तेजी से रन बनाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन यह जोड़ी 7.4 ओवरों में 6.52 की औसत से 50 रन ही जोड़ सकी।

नाथन कल्टर नाइल ने 75 के कुल स्कोर पर विलियमसन को पवेलियन भेजा। इसी स्कोर पर अगले ही ओवर में पीयूष चावला ने वार्नर का विकेट उखाड़ उनकी पारी का अंत किया। वार्नर ने स्वभाव से विपरीत 35 गेंदों में 37 रनों की पारी खेली, जिसमें दो चौके और इतने ही छक्के शामिल हैं।

युवराज सिंह नौ रन ही बना सके। विजय शंकर ने 17 गेंदों की अपनी पारी में जरूर कुछ तेजी दिखाई और दो चौके तथा एक छक्के की मदद से 22 रन बनाए। उनका स्ट्राइक रेट 129.41 रहा जो हैदराबाद की तरफ से इस मैच में सबसे ज्यादा रहा। नाइल ने क्रिस जोर्डन को खाता भी नहीं खोलने दिया।

नमन ओझा बल्ले से संघर्ष करते दिखे और 15 गेंद में 16 रन ही बना सके। वह मैच की आखिरी गेंद पर आउट हुए। बिपुल शर्मा तीन गेंदे में दो रन बनाकर नाबाद रहे।

कोलकाता के सबसे सफल गेंदबाज नाइल रहे। उन्होंने चार ओवरों में सिर्फ 20 रन दिए और तीन विकेट लिए। उमेश ने चार ओवरों में 21 रन देते हुए एक विकेट लिया। बाउल्ट और चावला को भी एक-एक सफलता मिली।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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