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आईपीएल : सनराइजर्स से घरेलू मैदान पर हिसाब चुकता करने उतरेंगे नाइट राइडर्स

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कोलकाता | वर्षा से बाधित पिछले मैच में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर से मिली हार के बाद मौजूदा चैम्पियन कोलकाता नाइट राइडर्स की कोशिश सोमवार को अपने घरेलू मैदान ईडन गरडस पर सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ मुकाबले से मजबूत वापसी करने की होगी।  दोनों टीमें इस बात से वाकिफ हैं कि एक और हार उनके आईपीएल-8 के प्लेऑफ में पहुंचने की संभावनाओं को खतरे में डाल सकता है। नाइट राइडर्स के नौ मैचों से नौ अंक हैं और टीम फिलहाल चौथे पायदान पर है। सनराइजर्स के आठ मैचों से ही आठ अंक हैं और टीम पांचवें पायदान पर है।

सनराइजर्स ने अपने पिछले मैच में शनिवार को चेन्नई सुपर किंग्स को हराया और निश्चित ही इस जीत से टीम का आत्मविश्वास बढ़ा होगा। दूसरी ओर, इसी दिन नाइट राइडर्स को बारिश से बाधित मैच में रॉयल चैलेंजर्स से हार का सामना करना पड़ा। दोनों टीमों के बीच पूर्व में हुए मुकाबलों की बात करें तो नाइट राइडर्स ने पांच मुकाबलों में सनराइजर्स को तीन बार हराया है। वैसे, इस सत्र में दोनों टीमें दूसरी बार एक-दूसरे के सामने होंगी। विशाखापट्टनम में खेला गया पहला मैच सनराइजर्स ने 16 रनों से जीता। यह देखना होगा कि नाइट राइडर्स के कप्तान इस मैच के लिए पैट कमिंस के स्थान पर दक्षिण अफ्रीकी मोर्ने मोर्कल को वापस टीम में शामिल करते हैं या नहीं। कमिंस का प्रदर्शन बहुत उत्साहजनक नहीं रहा है।

यह भी देखना दिलचस्प होगा कि नाइट राइडर्स के बल्लेबाज आखिरी ओवरों में सनराइजर्स के गेंदबाजों ट्रेंट बाउल्ट और भुवनेश्वर कुमार का किस प्रकार सामना करते हैं। दोनों गेंदबाजों ने आखिरी ओवरों में कई मौकों पर प्रतिद्वंद्वी बल्लेबाजों को खासा परेशान किया है। नाइट राइडर्स अपने स्टार स्पिन गेंदबाज सुनील नरेन को ऑफ स्पिन गेंद फेंकने से लगे प्रतिबंध के बाद पिछले तीन मैच में उनके बगैर उतरी है। हालांकि नरेन के विकल्प स्वरूप शामिल किए गए ब्रैड हॉग ने खुद को टीम के अनुकूल ढाल लिया है।

टीम (संभावित) :

कोलकाता नाइट राइडर्स : गौतम गंभीर (कप्तान), सुनील नरेन, रोबिन उथप्पा, पीयूष चावला, यूसुफ पठान, उमेश यादव, मनीष पांडेय, सुर्यकुमार यादव, वीर प्रताप सिंह, कुलदीप सिंह, सुमीत नरवाल, शेल्डन जैक्सन, आदित्य गढ़वाल, के. सी. करियप्पा, वैभव रावल, शाकिब अल हसन, मोर्ने मोर्कल, पैट कमिंस, रायन टेन डोशेट, आंद्रे रसेल, ब्रैड हॉग, अजहर महमूद, जोहान बोथा।

सनराइजर्स हैदराबाद : डेविड वार्नर (कप्तान), शिखर धवन, लोकेश राहुल, कर्ण शर्मा, नमन ओझा, चामा मिलिंद, भुवनेश्वर कुमार, इशांत शर्मा, परवेज रसूल, आशीष रेड्डी, लक्ष्मी रतन शुक्ला, प्रवीण कुमार, प्रशांत पद्मनाभम, हनुमा विहारी, सिद्धार्थ कौल, डेल स्टेन, मोएसिस हेनरिक्स, रिकी भुई, केन विलियमसन, इयान मोर्गन, रवि बोपारा, ट्रेंट बाउल्ट।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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