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नेशनल

अमरनाथ यात्रा के दौरान जयकारों, मंत्रोच्चारण और घंटी बजाने पर रोक

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने प्रसिद्ध अमरनाथ यात्रा पर लगाए जाने वाले जयकारों और मंत्रों के उच्चारण पर रोक लगाने का आदेश दिया है। एनजीटी ने बुधवार को अमरनाथ मंदिर को शांत क्षेत्र घोषित कर दिया और प्रसिद्ध गुफा मंदिर के इर्द-गिर्द के क्षेत्र में घंटी बजाने या मंत्रोच्चार से पर्यावरण को खतरा पहुंचने की बात करते हुए इन पर रोक लगाने के निर्देश जारी कर दिए।

सुनवाई के दौरान एनजीटी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह इलाका काफी संवेदनशील है और इस इलाके में ग्लेशियरों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए यहां शोर-शराबा नहीं होना चाहिए। एनजीटी ने अमरनाथ गुफा तक जाने वाले यात्रियों की संख्या सीमित करने की बात कही है।

एनजीटी ने अमरनाथ श्राइन बोर्ड से कहा कि वो इस बात पर विचार करे कि बाबा अमरनाथ की गुफा में घंटियां न बजायी जाएं, इसके अलावा यात्रियों को मोबाइल फोन और अन्य सामान ले जाने की भी अनुमति देने से भी रोका जा सके।

एनजीटी ने हिम ‘शिव लिंग’ के सामने लोहे की ग्रिलों को हटाने के आदेश दिए हैं ताकि श्रद्धालु भलीभांति दर्शन कर सके। साथ ही अंतिम जांच बिंदु से आगे श्रद्धालुओं को मोबाइल फोन समेत निजी सामानों को ले जाने पर भी रोक लगाई गई है और श्राइन बोर्ड से एक ऐसा स्थान बनाने के लिए कहा गया जहां लोग अपना कीमती सामान रख सके।

इस फैसले के साथ ही सोशल मीडिया पर इसका विरोध शुरु हो गया है। लोगों ने एनजीटी के आदेश को गैर जरूरी बताया है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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