प्रादेशिक
सतरंगी परदे पर नजर आएंगे उत्तराखंड के पहाड़
उफ्तप्पा ने शुरू किया फिल्म टाइटिल पंजीकरण के कार्य
देहरादून। उत्तराखंड फिल्म एडं टीवी प्रोग्राम प्रोडूसर्स एसोसिएशन (उफ्तप्पा) ने राज्य में फिल्मों व टीवी सीरियल के टाइटल्स का पंजीकरण का काम शुरू हो गया है। कई प्रोडूसरों ने इस मामले में रुचि दिखाई है। चार मार्च से शुरू हुए पंजीकरण में अब तक लगभग एक दर्जन फिल्मों के टाइल्स का पंजीकरण हो चुका है। इस प्रयास से माना जा रहा है कि निकट भविष्य में बालीवुड की तर्ज पर ही उत्तराखंड में फिल्म निर्माण शिखर पर होगा।
उत्तराखंड में फिल्मों व टीवी प्रोग्राम तैयार करने को मिलेगा प्रोत्साहन
उफ्तप्पा के अध्यक्ष शिव पैन्युली ने बताया कि अब तक फिल्म निर्माताओं को अपने फिल्मों के टाइटल्स हासिल करने के लिए मुंबई जाना पड़ता था। यह काफी महंगा था, लेकिन अब यह सुविधा उत्तराखंड में भी मिल सकेगी। उन्होंने बताया कि इस पंजीकरण प्रक्रिया में राज्य के निर्माताओं द्वारा बनाई जाने वाली फिल्मों का पंजीकरण शुरू कर दिया गया है। उनके अनुसार 31 मार्च तक राज्य के फिल्म निर्माता जो पंजीकरण कराएंगे वह निःशुल्क होगी। उफ्तप्पा के सचिव राम सिंह नेगी ने कहा कि टाइटल्स और स्क्रिप्ट पंजीकरण की बड़ी फीस अदा न कर सकने के कारण क्षेत्रीय फिल्म निर्माताओं की संख्या में अपेक्षित वृद्वि नहीं देखी जा रही है। जिन फिल्मों को अब तक रजिस्टर किया गया है उनमें टीवी गिरिदूत के बैनर तले निर्माता शिव पैन्यूली और प्रसिद्व फिल्म अभिनेता टाम आल्टर की फिल्म रिरन एट रीयाल्टो, देवभूमि फिल्मस के बैनर तले परिणिता बडोनी की फिल्म कारा, आशा फिल्मस के राम नेगी की बुरांस आदि प्रमुख हैं।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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