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मुस्लिम मवेशी कारोबारियों की हत्या को लेकर राज्यसभा में हंगामा

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मुस्लिम मवेशी कारोबारियों की हत्या को लेकर राज्यसभा में हंगामा

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 मुस्लिम मवेशी कारोबारियों की हत्या को लेकर राज्यसभा में हंगामा

नई दिल्ली| राज्यसभा में शुक्रवार को झारखंड में मार्च में हुई दो मुस्लिम मवेशी व्यापारियों की हत्या मामले को लेकर हंगामा हुआ। सरकार का कहना था कि हत्या के पीछे का सच सामने लाने की जरूरत है, जबकि विपक्ष की मांग थी कि सदन की समिति प्रभावित इलाके का दौरा कर तथ्यों की जांच करे। सदन में यह मामला जनता दल-युनाइटेड (जद-यू) के नेता गुलाम रसूल बलयावी ने उठाया।

बलयावी ने कहा, “वे लोग मवेशी बेचने व खरीदने के एक पुराने कारोबार का हिस्सा थे। उन्हें बेरहमी से फांसी पर लटका दिया गया। मेरे ख्याल से अंग्रेजों ने भी भरतीयों के साथ ऐसा नहीं किया था।”

उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री (झारखंड के) नहीं समझते कि अल्पसंख्यक भारतीय हैं।”

उन्होंने आरोप लगाया कि पीड़ितों के परिजनों के साथ एक स्थानीय पुलिस थाने में मारपीट की गई और उन्हें पाकिस्तान जाने के लिए कहा गया।

इस मामले को लेकर लगभग पूरा विपक्ष बलयावी के समर्थन में आ गया, जिसके बाद केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने हस्तक्षेप किया।

नकवी अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री भी हैं। उन्होंने विपक्ष को और नाराज करते हुए कहा, “सदस्य ने एक भावनात्मक भाषण दिया है..लेकिन सच्चाई क्या है। सच उतना नहीं है, जितनी भाषण में भावनात्मकता है। फिर भी, मैं आरोप को लेकर राज्य सरकार से बात करूंगा।”

विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, जद-यू नेता बलयावी के समर्थन में खड़े हुए और कहा कि उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा है।

गुलाम नबी ने कहा, “घरों को जलाया गया, अल्पसंख्यकों को पीटा गया और उस पर भी अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री पूछ रहे हैं कि क्या यह सच है। यह बहुत दुखद है।”

विभिन्न विपक्षी दलों के नेता इस मुद्दे पर अपना समर्थन देते हुए विरोध में आवाज बुलंद करते नजर आए। इस पर सदन में मौजूद अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपुतल्ला ने नकवी से बैठ जाने के लिए कहा।

नकवी ने हालांकि दोहराया कि वह राज्य सरकार से सच्चाई पता करेंगे और कहा, “ऐसी कोई चीज नहीं होनी चाहिए, जिससे देश के सांप्रदायिक सद्भाव में खलल पड़े।”

उप सभापति पी.जे.कुरियन ने कहा कि बलयावी ने जो कुछ भी कहा है, उसे उसी रूप में लिया जाना चाहिए।

इस पर हेपतुल्ला ने कहा, “मैं मुख्यमंत्री (झारखंड के) को लिखूंगी। हम सच्चाई का पता लगाएंगे और पता करेंगे कि क्या हुआ है। अगर ऐसा हुआ है तो यह बहुत गलत है। लेकिन, मैं सदस्यों से अपील करूंगी कि वे भावुक न हों, हालांकि मैं जानती हूं कि यह बहुत भावुक मुद्दा है..”

नाराज विपक्ष ने हेपतुल्ला को वाक्य पूरा करने नहीं दिया।

आजाद ने अल्पसंख्यक समुदाय की हिफाजत में ‘नाकाम’ रहने पर सरकार की निंदा की।

वहीं, नकवी ने कहा कि देश के सांप्रदायिक हालात पर चर्चा कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा, ” धर्मनिरपेक्षता के नाम पर सांप्रदायिकता का जो खेल चल रहा है..हमारा अनुरोध है कि देश में सांप्रदायिक माहौल पर चर्चा होनी चाहिए, बातें साफ हो जाएंगी।”

लेकिन, विपक्षी सदस्यों ने मांग उठाई कि घटनास्थल पर जाकर सच्चाई का पता लगाने व मामले की जांच के लिए सदन की समिति गठित की जाए। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी ने कहा कि घटना को दो महीने हो गए और कोई कार्रवाई नहीं हुई।

हंगामे के बीच उप सभापति ने सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए रोक दी।

मार्च के मध्य में झारखंड के लातेहार जिले में दो मुस्लिम मवेशी कारोबारी फांसी से लटके मिले थे। इस मामले में बाद में स्थानीय गौ संरक्षण निगरानी समूह से जुड़े एक व्यक्ति सहित पांच संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया था।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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