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हेल्थ

टीबी संक्रमण के नए तरीके की पहचान हुई

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टीबी संक्रमण के नए तरीके की पहचान हुई

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टीबी संक्रमण के नए तरीके की पहचान हुई

न्यूयार्क| शोधकर्ताओं ने शरीर को संक्रमित करने के लिए तपेदिक (टीबी) के जीवाणुओं द्वारा अपनाए जाने वाले एक नए तरीके की खोज की है, जिससे इस बीमारी के इलाज में काफी मदद मिल सकती है। शोधकर्ताओं के इस दल में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है। पहले समझा जाता था कि माइकोबैक्टिरियम ट्यूबरकुलोसिस (एमटीबी) सांस के जरिए फैलता है। लेकिन हालिया शोध से पता चला है कि माइक्रोफोल्ड सेल (एम-सेल) ट्रांसलोकेशन एक नया तरीका है, जिससे एमटीबी शरीर के अंदर प्रवेश करता है। संक्रमण के इस तरीके के बारे में पहले किसी को पता नहीं था।

द यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास साउदर्न मेडिकल सेंटर में पोस्ट डॉक्टोरल शोधार्थी विद्या नायर ऑनलाइन कोशिका रिपोर्ट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन की प्रमुख हैं। यूटी साउदवेस्टर्न में इंटरनल मेडिसिन एंड माइक्रोबायोलॉजी के सहायक प्रोफेसर माइकल शिलोह कहते हैं, “संक्रमण का नया तरीका यह है कि एमटीबी जीवाणु सांस के माध्यम से शरीर में पहुंचने के बाद फेफड़े के अंत तक पहुंच जाते हैं, जिसके बाद उसे मैक्रोफेज निगल जाते हैं।”

मैक्रोफेज सफेद रक्त कणिका है, जो हमारे शरीर में होने वाले संक्रमण से लड़ती है।  शिलोह ने कहा, “हमारा अध्ययन बताता है कि एक बार जब एमटीबी जीवाणु सांस के जरिए लिया जाता है, तो वह एम-कोशिकाओं के माध्यम से शरीर में सीधे प्रवेश कर सकता है, जिसके बाद वह लिंफ नोड व शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंच सकता है।”

एम-कोशिकाएं एक विशेष प्रकार की एपिथिलियल कोशिकाएं हैं, जो म्यूकोसल सतह से कणों को कोशिकाओं के अंदर पहुंचाते हैं।  हालांकि आगे भी अभी शोध की जरूरत है। उपचार की जरूरतों के लिए शोधकर्ताओं का दल इस तरह के दवाओं के विकास में लगी है, जिससे एमटीबी को एम-सेल में प्रवेश करने से रोका जा सके।

घातक रोगों में टीबी फेफड़े की एक प्रमुख बीमारी है। इससे सालाना 80 लाख लोग संक्रमित होते है। इतना ही नहीं, करीब 15 लाख लोग हर साल इससे अपनी जान गंवा देते हैं। यूएस सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी टीबी से संक्रमित है।

लाइफ स्टाइल

हार्ट अटैक से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय, सही खानपान व व्यायाम है जरूरी

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heart attack

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नई दिल्ली। आजकल हमें लगभग रोज ऐसे वीडियो देखने को मिलते हैं जिनमें बाहर से दिखने वाले एक स्वस्थ इंसान को अचानक हार्ट अटैक आता है और तुरंत ही उसकी मौत हो जाती है। ऐसा वीडियो देखकर लोग डर रहे हैं। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आप हार्ट की बीमारी से दूर रह सकते हैं।

खानपान

गेहूं की रोटी की जगह बाजरा, ज्वार या रागी अथवा इनका आटा मिलाकर बनाई रोटी खाएं।

आम, केला, चीकू जैसे ज्यादा मीठे फल कम खाएं। इनके बजाय पपीता, कीवी, संतरा जैसे कम मीठे फल खाएं।

तली और मीठी चीजें जितना कम कर दें, उतना बेहतर है।

जितनी भूख से उससे 20 फीसदी कम खाएं और हर 15 दिन में वजन चेक करते रहें।

व्यायाम

सप्ताह में पांच दिन 45 मिनट तक कसरत करें। वॉकिंग भी करते हैं तो असर दिखता है।

दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह मोटापा है। वजन जितना बढ़ेगा और हृदय रोगों का खतरा उतना ज्यादा रहेगा।

फिटनेस को इस स्तर पर लाने का प्रयास करें कि सीधे खड़े होने पर जब आप नीचे नजरें करें तो बेल्ट का बक्कल दिखे।

अगर एक से डेढ़ किलोमीटर जाना है तो पैदल जाएं।

7 घंटे की नींद जरूरी

रोजाना कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर लें।  जल्दी सोने और जल्द उठने का रूटीन बनाएं।

रात 10 से सुबह 6 बजे तक सोने का सही समय है। इससे शरीर नाइट साइकिल में बेहतर आराम कर सकेगा।

तनाव लेने से बचें, इसका सीधा असर दिमाग और दिल पर होता है।

धूम्रपान पूरी तरह छोड़ दें

लगातार धूम्रपान करने से उसका धुआं धमनियों की लाइनिंग को कमजोर करता है।

इससे धमनियों में वसा के जमा होने की आशंका और भी बढ़ जाती है।

इसी तरह अल्कोहल से दूरी बना लेते हैं तो हार्ट हेल्दी रहेगा।

कौन सा टेस्ट कराएं

30 साल की उम्र पार करते ही शुगर, लीवर, किडनी और ईसीजी जांच करानी चाहिए.

अगर आप जिम या वर्कआउट करते हैं तो अपना हार्ट और कार्डियक चेकअप जरूर कराएं.

40 साल की उम्र के बाद स्ट्रेस टेस्ट कराएं.

ट्रेडमिल टेस्ट (टीएमटी) भी जरूरी है.

स्मोकर्स, डायबिटिक और मोटापे के शिकार लोगों को स्ट्रेस टेस्ट कराना चाहिए.

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डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी मात्र सूचना के उद्देश्य से है न कि कोई डाक्टरी सलाह. सटीक जानकारी के लिए सम्बंधित विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें.

 

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