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आध्यात्म

भगवान् को महानतम बुद्धिमान् भी नहीं जान सकता

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kripalu ji maharaj

समुझ! समुझ सों श्‍याम को, समुझ सका नहिँ कोय।

समुझ मिलइ जब श्‍याम की, समुझ सकै बस सोय।। 32।।

भावार्थ- हे बुद्धिदेवी! तुम अपने बल से श्‍यामसुन्‍दर को नहीं समझ सकती। उनकी कृपादत्‍त बुद्धि से ही वे समझ में आयेंगे।

व्‍याख्‍या- भगवान् के समझने के विषय में वेद कहता है।

यथा-

यस्‍यामतं तस्‍य मतं मतं यस्‍य न वेद सः।

अविज्ञातं विजानतां विज्ञातमविजानताम् ।।

(केनो. 2-3)

यदि मन्‍यसे सुवेदेति दभ्रमेवापि नूनं त्‍वं वेत्‍थ ब्रह्मणो रूपम् ।

(केनो. 2-1)

भागवत यथा-

क इह नु वेद बतावरजन्‍मलयोऽग्रसरं

यत उदगादृषिर्यमनु देवगणा उभये।

तर्हि न सन्‍ न चासदुभयं च कालजवः

किमपि न तत्र शास्‍त्र मवकृष्‍य शयीत यदा।।

(भाग. 10-87-24)

गीता यथा-  मां तु वेद न कश्र्चन।   (गीता 7-26)

रामायण यथा- राम स्‍वरूप तुम्‍हार वचन अगोचर बुद्धि पर।

अर्थात् भगवान् को महानतम बुद्धिमान् भी नहीं जान सकता यहाँ तक कि ब्रह्मा शंकररादि भी नहीं जान सकते। यथा-

नाहं न यूयं यदृतां गतिं विदुर्न वामदेवः किमुतापरे सुराः।

(भाग. 2-6-36)

विधि हरि शंभु नचावन हारे,

तेउ न जानहिं मरम तुम्‍हारा और तुमहिं को जाननिहारा।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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