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आध्यात्म

राधा तत्व ही सर्वप्रमुख तत्व है

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kripalu ji maharaj

अस्तु उपर्युक्त वेदादि प्रमाणों एवं युक्तियों से राधा तत्व अनादि अद्वितीय सिद्ध है। अद्वितीय शब्द का प्रयोग एवं एक शब्द का प्रयोग देखकर कुछ शंका हो सकती है। उसका निराकरण यह है कि अद्वितीय अर्थात् जिसके समान अथवा जिससे बड़ा दूसरा तत्व न हो। एक का अभिप्राय यह है कि शेष जो भी तत्व हैं, वे सब उन्हीं श्री राधा से ही आविर्भूत हैं। इसी आशय से स्वयं श्री राधा ने कहा है। यथा-

ममैव पौरूषं रूपं गोपिका जनमोहनम्।

(ब्रह्मवैवर्तपुराण)

अर्थात् मेरे पुरुष शरीर वाले रूप को भगवान् कृष्ण कहते हैं। जो गोपियों के प्राण कहे जाते हैं। वस्तुतस्तु राधाकृष्ण एक ही सत्ता के दो रूप एवं दो नाम हैं। लीला के हेतु ही दो रूप बनाये हैं। यह जीवों पर कृपा करने के उद्देश्य से किया गया है। एक भावुक भक्त कहता है, यथा-

देहस्तेऽहं त्‍वमपि च ममासीति हन्तप्रवादः,

प्राणस्तेऽहं त्वमपि च ममासीति तावत्प्रलापः।

त्वं मे तेस्यामहमपि च तद्वाधितं साधुराधे,

नो युक्तौ नौ प्रणयविषये युष्मदस्मत्प्रयोगः।।

अर्थात् राधाकृष्ण के विषय में दो सत्ता का ज्ञान घोर अज्ञान है। निर्गुण निर्विशेष निराकार ब्रह्म, राधारूपी शक्ति से ही सगुण सविशेष साकार होता है। अतः राधा तत्व ही सर्वप्रमुख तत्व है। दर्शन शास्त्रों की दृष्टि से भी शक्ति (राधा) एवं शक्तिमान् (श्रीकृष्ण) में भेद नहीं होता।

आध्यात्म

होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त

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नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.

होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?

24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।

होलिका दहन की पूजन विधि

होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।

फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।

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