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आध्यात्म

श्रीकृष्ण की भांति श्री राधा जी के भी अनन्त नाम हैं

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kripalu ji maharaj

उपर्युक्‍त दोनों स्थलों में राधा नाम का स्पष्ट उल्‍लेख है। एक बात प्रमुख रूप से विचारणीय है कि श्रीकृष्ण की भांति श्री राधा जी के भी अनन्त नाम हैं। अतः अन्य स्थलों पर अन्य पर्यायवाची नामों से स्पष्ट उल्लेख भी है। यथा-

कामयामह एतस्य श्रीमत्पादरजः श्रियः।

कुचकुंकुमगंधाढ् यं मूर्ध्‍ना वोढुं गदाभृतः।।

(भाग. 10-83-42)

इस स्‍थल पर श्री राधा जी का नाम ‘श्री’ शब्द से निर्दिष्ट है। सारार्थ दर्शिनी टीकाकार विश्‍ वनाथ चक्रवर्ती ने विस्तारपूर्वक समझाया है। जिसका तात्पर्य यह है कि द्वारिकास्थ महिषी वृंद ने श्री राधा के कुच कुंकुम युक्त चरण रज की ही स्वकामना प्रदर्शित की है। यद्यपि ‘श्री’ शब्द महालक्ष्मी के हेतु भी प्रयुक्त होता है, किन्तु महालक्ष्मी रूपा रुक्मिणी की चरण –रज तो द्वारिका में सदा प्राप्त ही थी। अतः यह ‘श्री’ शब्द केवल राधा का ही बोधक हो सकता है।

इसी प्रकार पुनः भागवत में निरूपण प्राप्त है। यथा-

आक्षिप्तचित्ताः प्रमदा रमापतेस्तास्ता विचेष्टा जगृहुस्तदात्मिकाः।

(भाग. 10-30-2)

आध्यात्म

होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त

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नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.

होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?

24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।

होलिका दहन की पूजन विधि

होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।

फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।

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