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आध्यात्म

सर्वश्रेष्ठ मानव देहधारी ही होता है

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kripalu ji maharaj

प्रवचन- 50

चेतो दर्पणमार्जनं भवमहादावाग्नि निर्वापणम् ,

श्रेयः कैरवचन्द्रिका वितरणं विद्यावधूजीवनम्।

आनन्‍दाम्‍बुधिवर्धनं प्रतिपदं पूर्णामृतास्‍वादनम् ,

सर्वात्‍मस्‍नपनं परं विजयते श्रीकृष्‍णसंकीर्तनम्।।

नमः पङ्कजनाभाय नमः पङ्कजमालिने।

नमः पङ्कजनेत्राय नमस्‍ते पङ्कजाङ् घ्रये।।

यो ब्रह्माणं विदधाति पूर्वं यो वै वेदांश्र्च प्रहिणोति तस्‍मै।

तँह देवमात्‍मबुद्धिप्रकाशं मुमुक्षुर्वै शरणमहं प्रपद्ये।।

वृंदारकवृन्‍दवन्‍द्य आनन्‍दकन्‍दसच्चिदानन्‍द श्रीकृष्‍णचन्‍द्रचरणारविन्‍द अनुरागियो!

नियमानुसार थोड़ी देर भगवन्‍नाम संकीर्तन कर लीजिये, पश्‍चात् विषय प्रारम्‍भ होगा।

।।भजो गिरिधर गोविन्‍द गोपाला।।

।।लाड़ली लाल की जय।।

‘मैं’ कौन? ‘मेरा’ कौन? इन दो प्रश्‍नों के समाधान के सम्‍बन्‍ध में अब तक आप लोगों को बताया गया कि हम लोग मनुष्‍य शरीरधारी हैं। लाखें प्रकार के शरीरधारी होते हैं। उनमें सर्वश्रेष्‍ठ मानव देहधारी ही होता है। इसलिये वेदों ने कहा है-

इह चेदवेदीदथ सत्‍यमस्ति न चेदिहावेदीन्‍महती विनष्टिः।।

(केनोपनिषद् 2-5)

 

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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