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आध्यात्म

शरणागत को अभय देने वाली हैं श्री राधा

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kripalu ji maharaj

यथा-

ब्रह्मवादिनो वदन्ति, कस्‍माद्राधिकामुपासते आदित्‍योऽभ्‍यद्रवत् ।

श्रुतयः ऊचुः-

सर्वाणि राधिकाया दैवतानि सर्वाणि भू‍तानि राधिकायास्‍तां  नमामः। देवतायतनानि कंपंते राधाया हसंति नृत्‍यंति च सर्वाणि राधा दैवतानि ………… न यां पुराणानि वदंति सम्‍यक् तां राधिकां देवधात्रीं नमामः। जगद् भर्तुर्विश्‍ वसंमोहनस्‍य श्रीकृष्‍णस्‍य प्राणतोऽधिकामपि। वृंदारण्‍ये स्‍वेष्‍टदेवीं च नित्‍यं तां राधिकां वनधात्रीं नमामः। यस्‍या रेणुं पादयोर्विश्‍वभर्ता धरते मूर्ध्नि रहसि प्रेमयुक्‍तः। यस्‍या अंके विलुण्‍ठन् कृष्‍णदेवो गोलोकाख्‍यं नैव सस्‍मार धामपदं सांशा कमला शैलपुत्री तां राधिकां शक्तिधात्रीं नमामः।

(अथर्ववेदीयराधिकातापनीयोपनिषद् )

अर्थात् ब्रह्मवेत्‍ता महापुरुषों के चित्‍त में एक प्रश्‍न उत्‍पन्‍न हुआ कि अन्‍य महाशक्तियों की उपासना छोड़कर श्री राधिका की ही उपासना क्यों की जाती है? यह प्रश्‍न उत्‍पन्‍न होते ही एक महान् तेजःपुंज प्रकट हुआ। वह महान् तेजःपुंज श्रुतियाँ ही थीं। उन श्रुतियों ने बताया कि समस्‍त देवी देवताओं में देवत्‍व शक्ति श्री राधा से ही आविर्भूत होती है। अतः हम श्रुतियाँ भी श्री राधा को नमन करती हैं। श्री राधा जी के भय से समस्‍त दैवी महाशक्तियाँ थर-थर काँपती हैं। स्‍वयं भगवान् श्रीकृष्‍ण भी श्री राधा जी के भृकुटि विलास को भयभीत होकर देखते रहते हैं। जिन श्री राधा जी का हम श्रुतियाँ एवं सांख्‍य, योग, वेदान्त आदि भी पार नहीं पा सकते। अर्थात् सम्यक प्रतिपादन नहीं कर सकते उनको हम प्रणाम करते हैं। जगत्पति विश्‍वविमोहन नँदनन्दन की प्राणाधिकप्रिया, परमोपास्या एवं शरणागत को अभय देने वाली श्री राधा को हम सब नमस्कार करते हैं।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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