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प्रादेशिक

नए भारत में गणतंत्र के साथ, प्रजातंत्र का भी होना अति आवश्यक है: अमिता बाजपेई

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लखनऊ। शिक्षाविद व राजनेता अमिता बाजपेई ने देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि नए भारत में गणतंत्र के साथ, प्रजातंत्र का भी होना अति आवश्यक है। प्रजातंत्र का अर्थ मैं यह समझती हूं कि इसमें सर्वाधिक उपेक्षित से लेकर सुविधा संपन्न व्यक्ति तक सभी को आगे बढ़ने का समान अवसर मिले। सभी को आगे बढ़ना है और नया भारत बनाना है। यह पर्व है लोकतंत्र का, यह पर्व है गणतंत्र का, यह पर्व है भारत का।


उन्होंने कहा कि इसके साथ साथ देश की बालिकाओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए। वे शिक्षित हों, आगे बढ़ें इसलिए लिए हर कोशिश करनी चाहिए।

अमिता बाजपेई ने कहा कि आजकल कोरोना महामारी हर तरफ फैली हुई है। आप इसे ध्यान में रखते हुए अपना ख्याल रखें। अपने परिवार का ख्याल रखें। काम के लिए सभी को बाहर जाना होता है इसलिए मास्क का प्रयोग करें और जो गाइडलाइंस हैं उसको फॉलो करें।

 

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उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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