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नेशनल

डूडल बनाकर गूगल ने दी गणितज्ञ जॉर्ज बूले को श्रद्धांजलि

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नई दिल्ली| सर्च इंजन गूगल ने सोमवार को डूडल के माध्यम से प्रसिद्ध गणितज्ञ जॉर्ज बूले को उनकी 200वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। गूगल ने डूडल में पांच रंगों का समावेश किया है। जॉर्ज का जन्म दो नवम्बर 1814 को इंग्लैंड में हुआ था।

जॉर्ज एक गणितज्ञ, तर्कशास्त्री और दार्शनिक थे। वह तर्कशास्त्र को बीजगणितीय रूप देने के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके तर्क की विरासत पर सूचना युग की नींव रखी गई, जिसे बूलियन तर्क कहा जाता है।

उन्होंने अंतर समीकरणों और बीजीय तर्क के क्षेत्र में काम किया और उन्हें मुख्य तौर पर ‘द लॉ ऑफ थॉट’ के लेखक के रूप में जाना जाता है।

जॉर्ज का साल 1864 में निमोनिया के कारण केवल 49 साल की उम्र में निधन हो गया।

जॉर्ज के जन्मदिन के दिन गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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