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जनता भरोसा रखे, उप्र में होगा कानून का राज : शाह

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लखनऊ, 31 जुलाई (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को उत्तर प्रदेश की जनता को भरोसा दिलाते हुए कहा कि उप्र में कानून का राज स्थापित होगा। कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए राज्य सरकार हर संभव कदम उठाएगी। शाह ने इस दौरान उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तीन महीने के कामकाज की जमकर तारीफ भी की। शाह ने लखनऊ स्थित भाजपा मुख्यालय में केंद्र सरकार की उपलब्धियों का बखान करते हुए कहा कि पिछले तीन वषरें के दौरान विपक्ष सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लग पाया है।

शाह ने कहा, तीन वर्षो से सरकार चल रही है, लेकिन एक भी घोटाला सामने नहीं आया। खुद विपक्ष भी सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा पाया है।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र में पिछले 10 वषरें से एक ऐसी सरकार चली थी, जिसमें सिर्फ घोटाले ही सामने आए थे। पहले की सरकार पांच वषों में एक, दो या तीन ही काम कर पाती थी, लेकिन मोदी सरकार ने 50 ऐसे काम किए हैं, जिन्हें आसानी से गिनाया जा सकता है।

शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ने पांच करोड़ लोगों को एलपीजी कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा है, जबकि अभी तक दो करोड़ 60 लाख लोगों को कनेक्शन दिए जा चुके हैं। मुद्रा बैंक योजना के तहत सात करोड़ 64 लाख लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराए गए हैं। इसमें लोगों को 10 हजार से 10 लाख तक का लोन बिना गारंटी के मुहैया कराया गया है।

अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने सफलतापूर्वक जीएसटी लागू किया। इससे देश एक आर्थिक ताकत के रूप में और मजबूत होगा। उन्होंने इस मौके पर वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी), योग दिवस को सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में शुमार किया।

उप्र सरकार के कामकाज को परखने राजधानी पहुंचे अमित शाह ने योगी सरकार की भी जमकर सराहना की। शाह ने कहा कि योगी सरकार ने तीन महीने के भीतर ही काफी अच्छा काम करके दिखाया है। चुनाव के दौरान किसानों के कर्ज माफ करने का वादा भाजपा ने किया था, सरकार ने वह पूरा किया है। गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान उतना हुआ है, जितना आजादी के बाद कभी नहीं हुआ।

इससे पूर्व अमित शाह ने कहा कि पनामा लीक्स मामले में स्पेशल जांच टीम (एसआइटी) अपनी जांच कर रही है और समय समय पर वह अपनी रिपोर्ट भी देती है।

शाह से पूछा गया था कि पनामा लीक्स के खुलासे में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर आरोप लगे थे और उसके बाद वहां की सर्वोच्च अदालत ने उन्हें इस मामले में दोषी करार दिया है, जिसके बाद उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। क्या देश में भी पनामा लीक्स से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी?

शाह ने कहा, पनामा लीक्स मामले में सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद सरकार ने एसआईटी का गठन किया। एसआईटी जांच कर रही है। जहां तक बात भाजपा की है तो पार्टी के एक भी सदस्य का नाम पनामा लीक्स में नहीं आया था।

अमित शाह से जब यह पूछा गया कि क्या सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव भी भाजपा के संपर्क में हैं तो उन्होंने कहा कि शिवपाल की तरफ से न तो कोई ऐसा प्रस्ताव आया है और न ही भाजपा इस बारे में विचार कर रही है।

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नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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