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सपा ने जारी की 191 प्रत्याशियों की सूची, कांग्रेस से गठबंधन पर फंसा पेंच

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Akhilesh-Rahulलखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच संभावित गठबंधन को लेकर शह-मात का खेल चल रहा है। सपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर से शुक्रवार को जारी की गई 191 उम्मीदवारों की पहली सूची में उन सीटों पर भी प्रत्याशी उतार दिए गए हैं, जहां कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव में जीत मिली थी। सपा ने पहले, दूसरे और तीसरे चरण के लिए शुक्रवार को प्रत्याशियों की घोषणा की। इसमें समाजवादी पार्टी ने सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि गठबंधन की शर्तों के अनुसार कांग्रेस वह सीट चाह रही थी, जिसमें उसे पिछले विधानसभा चुनाव में जीत मिली थी और जहां उसके उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे।

दिलचस्प बात ये है कि सपा ने शुरुआती तीन चरणों के लिए कुल 191 प्रत्याशी घोषित किए हैं। इन तीन चरणों की मिलाकर कुल 209 सीटें हैं। यानी 18 सीटों पर सपा ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं, ऐसे में साफ दिख रहा है कि गठबंधन को लेकर समाजवादी पार्टी जरा भी सामंजस्य करने को तैयार नहीं है।

सपा ने कांग्रेस की जिन जीती सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं, उनमें शामली, स्याना, खुर्जा, मथुरा, देवबंद और बिलासपुर शामिल हैं। देवबंद से कांग्रेस के विधायक माविया अली को सपा ने इस बार टिकट दिया है।

2016 के ही उपचुनाव में कांग्रेस से लड़ते हुए माविया अली ने देवबंद सपा की मीना देवी को हराकर जीत दर्ज की थी। पहले ये सीट सपा की ही हुआ करती थी, लेकिन करीबी मुकाबले में माविया अली ने 3400 वोट ज्यादा हासिल की। यही नहीं सपा ने अपने कुछ मुस्लिम विधायकों को भी टिकट नहीं दिया है। इनमें पटियाली, कोल, नौगावां विधानसभा शामिल हैं।

मथुरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रदीप माथुर विधायक थे, यहां से अखिलेश ने अशोक अग्रवाल को टिकट दिया है। हापुड़ से गजराज सिंह विधायक थे, यहां सपा ने तेजपाल को टिकट दिया है। इसी तरह बुलंदशहर से कांग्रेस के दिलनवाज खान विधायक थे, सपा ने इस सीट से सुजात आलम को मैदान में उतारा है।

रामपुर की स्वार सीट से नवाज काजिम अली कांग्रेस विधायक थे, यहां से सपा ने आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को टिकट दिया है।

समाजवादी पार्टी के नेता किरणमय नंदा ने कहा, “हम गठबंधन के लिए तैयार हैं। वैसे तो कांग्रेस को 54 सीटें ही मिलनी चाहिए, लेकिन हम 84 से 85 सीट देने को तैयार हैं।”

उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में जिन सीटों पर समाजवादी पार्टी चौथे नंबर पर थी, वहां से भी वह कांग्रेस को सीट देने को तैयार हैं। अमेठी और रायबरेली की सीटें भी समाजवादी पार्टी अपने पास ही रखेगी। कांग्रेस ने सिटिंग एमएलए की किसी सीट पर क्लेम नहीं किया है, इसलिए हमने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं।

अखिलेश और मुलायम सिंह यादव के बीच सियासी दंगल में शिवपाल यादव खलनायक के तौर पर उभरे थे। ऐसे में इसकी कम ही संभावना थी कि अखिलेश की सूची में शिवपाल यादव भी शामिल हो सकते हैं। अब अखिलेश ने इस फैसले से सबको चौंका दिया है।

अखिलेश ने 191 प्रत्याशियों की जो सूची जारी की है उसमें मुख्यतौर पर रामनगर से अरविन्द सिंह गोप, कैराना से नाहिद हसन, मुजफ्फरनगर, गौरव स्वरूप, शामली से मनीष चौहान, चरथावल से मुकेश चौधरी व सरधना से अतुल प्रधान को टिकट दिया गया है।

इसके अतिरिक्त मेरठ सीट से डफीक अंसारी, मेरठ दक्षिण से आदिल चौधरी, मुरादनगर से सुरेंद्र कुमार, साहिबाबाद से वीरेंद्र यादव, नोएडा से सुनील चौधरी, बुलंदशहर से सुजात आलम, शिकारपुर से राकेश शर्मा, बुढ़ाना से प्रमोद त्यागी, खुर्जा से नंद किशोर वाल्मीकि और बरौली से सुभाष पाल को टिकट दिया गया है।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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