प्रादेशिक
बिहार में पंचायत चुनाव के 9वें चरण के लिए मतदान
पटना| बिहार में पंचायत चुनाव के लिए गुरुवार को नौवें चरण का मतदान शांतिपूर्ण तरीके से जारी है। शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान को लेकर सभी मतदान केन्द्रों में सशस्त्र सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। एक मतदान केन्द्र से पुलिस ने दो बम बरामद किए हैं। बिहार राज्य निर्वाचन विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, नौवें चरण के पंचायत चुनाव में राज्य के 27 जिलों के 41 प्रखंडों में 9,632 मतदान केंद्र बनाए गए, जिसमें 46.93 लाख मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।
बिहार पंचायत निर्वाचन 2016 के नौवें चरण के चुनाव में 20 हजार 994 पदों के लिए मतदान हो रहा है। इनमें जिला परिषद के 87, पंचायत समिति सदस्य के 905, ग्राम पंचायत मुखिया के 667, ग्राम कचहरी सरपंच के 667, ग्राम पंचायत सदस्य के 9,084 एवं ग्राम कचहरी पंच के 9,084 पदों के लिए मतदान कराया जा रहा है।
इस बीच मतदान के दौरान पुलिस ने नक्सलियों के विस्फोट की साजिश नाकाम कर दी। औरंगाबाद के कुटुम्बा प्रखंड के अंबा मध्य विद्यालय परिसर से पुलिस ने दो बम बरामद किए हैं, जिन्हें बाद में निष्क्रिय कर दिया गया। प्रारंभिक दौर में यहां मतदान रोक दिया गया था, परंतु फिर मतदान शांतिपूर्ण ढंग से जारी है।
इस चुनाव के तहत मतदाता तीन स्तरीय ग्रामीण प्रशासन संरचना के प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगे।
शांतिपूर्ण और निष्पक्ष ढंग से मतदान संपन्न कराए जाने के लिए सभी मतदान भवनों पर सशस्त्र बलों की तैनाती की गई है और गश्ती दल का गठन किया गया है।
पंचायत प्रणाली के जरिये जिला, ब्लॉक (प्रखंड) और ग्राम स्तर के प्रतिनिधियों का चुनाव होता है।
राज्य में 10 चरणों में होने वाला यह चुनाव 30 मई को संपन्न होगा।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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