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गर्मी की छुट्टियों भी मुकदमें निपटे तो अच्छा होगा: चीफ जस्टिस

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गर्मी की छुट्टियों भी मुकदमें निपटे तो अच्छा, चीफ जस्टिस आफ इंडिया जस्टिस टीएस ठाकुर, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के नये भवन का उद्घाटन

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गर्मी की छुट्टियों भी मुकदमें निपटे तो अच्छा, चीफ जस्टिस आफ इंडिया जस्टिस टीएस ठाकुर, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के नये भवन का उद्घाटन

लखनऊ। चीफ जस्टिस आफ इंडिया जस्टिस टीएस ठाकुर भी तवरित न्याय के पक्षधर हैं। देश के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने लखनऊ के गोमतीनगर में आज इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के नये भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि लखनऊ बहुत ही भाग्यशाली है कि इस शहर को विश्व का सबसे शानदार तथा भव्यतम हाईकोर्ट का नया प्रांगण मिला है। उन्होंने कहा 1300 करोड़ की राशि से बने इस भवन का लाभ उठाने का मौका अन न्यायिक सेवा से जुड़े लोगों को मिलेगा।

लखनऊ में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के नये भवन का उद्घाटन

उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य जनता को त्वरित न्याय देने की ओर रहना चाहिए। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि लाखों मुकदमे लंबित हैं। इसके लिए हम भी जिम्मेदार है। वकील साहबान को शिकायत रहती है कि जज साहब समय से नहीं आते हैं। अक्सर वकील केस की तारीख लेकर चले जाते हैं। मामला लंबा खिंचता जाता है। उन्होंने कहा कि मेरा तो यह मामला है कि दोनों पक्ष के वकील किसी भी केस को लेकर गंभीर हों, तभी केस जल्दी निपटेंगे। किसी भी मामले में बहानेबाजी के कारण ही मामले लटक रहे हैं। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि अगर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अनुरोध करें तो मैं को गर्मी की छुट्टियों में भी काफी केस की सुनवाई कराने को तैयार हूं। दोनों पक्ष के वकील तैयार होने के बाद मैं संबंधित न्यायाधीश से मुकदमें की सुनवाई करने का निवेदन भी कर लूंगा।

उन्होंने कहा कि मेरा दावा है कि अगर गर्मी के अवकाश में भी मुकदमों की सुनवाई हो गई तो लंबित केसों में निश्चित कमी होगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डालने के साथ न्यायिक कार्य में अपेक्षित सहयोग का वादा किया। राज्यपाल राम नाईक ने भी समय पर न्याय मिलने पर बल दिया। राज्यपाल ने कहा कि जब लखनऊ पीठ का नया भवन बनने की प्रक्रिया शुरू हुई तो इसकी कीमत 770 करोड़ रुपये थी। काम में विलंब के कारण इसकी कीमत में भी इजाफा हो गया। समय से तथा निबार्ध गति से काम होता तो कीमत कम हो सकती थी। इसी तरह से ही अगर समय से सभी न्यायिक पूरे हो तो लोगों को कम कीमत तथा समय में न्याय मिलेगा।।

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नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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