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आध्यात्म

जहां हफ्ते भर पहले मनती है दिवाली

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रायपुर, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ में एक ऐसा गांव भी है, जहां तय तिथि से एक सप्ताह पूर्व ही दिवाली मना ली जाती है। यहां के लोग ऐसा बरसों पुरानी परंपरा और ग्राम देवता के सपने का मान रखने के लिए करते हैं।

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला का यह गांव अपनी अनूठी परंपरा के कारण जाना जाता है। कुरुद विकासखंड की ग्राम पंचायत सेमरा सी में दिवाली 12 अक्टूबर को और गोवर्धन पूजा 13 अक्टूबर को ही मना लिया गया।

ग्राम पंचायत सेमरा सी के सरपंच सुधीर बललाल ने कहा, सेमरा सी का यह अनूठा पर्व सभी को एकता के सूत्र में पिरोता है। 15 सौ की आबादी वाला यह गांव दीपोत्सव में पांच से छह हजार की आबादी में तब्दील हो जाता है। दूर-दूर से सभी के नाते-रिश्तेदार और आस-पास के गांववासी सेमरा सी आते हैं। खुशियां बांटते हैं। सभी मिलकर पर्व मनाते हैं।

बललाल ने कहा, सेमरा सी में 12 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा और 13 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा पर्व मनाया गया। इस बार सेमरा सी के त्योहार में कांकेर जिले के चारमा कसावाही और दुर्ग जिले के तेड़ेसरा से नाचा पार्टी पहुंची थी। गांव में दो रात नाचा कार्यक्रम चला। 12 अक्टूबर को ग्रामवासियों ने अपने-अपने घरों में लक्ष्मी पूजा की।

उन्होंने कहा, 12-13 अक्टूबर की मध्यरात्रि तीन बजे गौरा-गौरी का जुलूस गांव में निकला। सुबह आठ बजे विसर्जन हुआ। ग्राम देवता सिरदार देव के मंदिर प्रांगण में 13 अक्टूबर की शाम गोवर्धन पूजा हुई। पूजा के बाद गांव के राउतों ने अपने-अपने गौवंश के पशुओं को सौहाई बांधी। गाय को खिचड़ी खिलाई गई और रात में नाच देखा।

पूर्व सरपंच घनश्याम देवांगन ने कहा, पूरे देश में जहां दिवाली आज (गुरुवार) मनाई जा रही है, वहीं गांव की परंपरा के अनुसार एक सप्ताह पूर्व ही सेमरा सी में यह पर्व मनाया गया। परंपरा के पालन के लिए गांव के सभी लोग एकजुट हो जाते हैं।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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