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शब्बीर शाह ने हाफिज से संपर्क की बात स्वीकारी : ईडी

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नई दिल्ली, 23 सितम्बर (आईएएनएस)| प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को कहा कि गिरफ्तार कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर शाह पाकिस्तान स्थित जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद के संपर्क में था। सईद को 2008 के मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है।

ईडी ने अपने आरोप-पत्र में कहा, शाह ने स्वीकारा है कि वह कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान स्थित वैश्विक आतंकवादी हाफिज सईद से फोन पर बात करता रहा है।

ईडी ने कहा, हाल में उसने हाफिज सईद से जनवरी 2017 में बात की थी।

यह खुलासा उस आरोप-पत्र में किया गया है, जिसे ईडी ने मनी लांडरिंग के एक मामले की जारी जांच के सिलसिले में कथित हवाला कारोबारी मोहम्मद असलम वानी और शाह के खिलाफ दाखिल किया है।

आरोप-पत्र में यह भी कहा गया है कि कश्मीरी नागरिक मोहम्मद शफी शायार भी पाकिस्तान जाने से पहले उनके आंदोलन का हिस्सा था।

आरोप-पत्र में कहा गया है, शाह फोन के जरिए शायार के संपर्क में था। काल डिटेल रिपोर्ट सीडीआर के विश्लेषण से पाया गया है कि शायार द्वारा उसके पाकिस्तानी नंबर 923005161648 से शब्बीर शाह के मोबाइल पर 22 जनवरी, 2017 से 26 जुलाई, 2017 तक किए गए 20 काल प्राप्त हुए हैं।

ईडी के अनुसार, शायार से शाह की मुलाकात 1993-94 के दौरान जम्मू के केंद्रीय कारागार में हुई थी।

जेल से रिहा होने के बाद शायार अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चला गया और रावलपिंडी में बस गया। वह अनंतनाग में पीपुल्स लीग नामक एक संगठन से जुड़ा हुआ था।

आरोप-पत्र में आगे कहा गया है, शाह ने कहा कि ये काल कश्मीर मुद्दे पर चर्चा के लिए पाकिस्तान से किए गए थे।

ईडी ने कहा है, शाह ने स्वीकार किया है कि शायार शाह से तो बात करता था, लेकिन अपने परिवार से उसने पिछले 18-20 सालों से बात नहीं किया। शायार शाह के करीबी सहयोगी व चालक, फोटोग्राफर जमीर अहमद शेख के जरिए भी उसके मोबाइल नंबर 9469100898 पर शाह को काल करता है।

ईडी ने यह भी कहा है कि शाह की जम्मू एवं कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी की वेबसाइट का आईपी एड्रेस पाकिस्तान के पेशावर का है और यह होस्ट201212 डॉट कॉमहोस्टिंग डॉट काम है, और डोमेन संगठन का नाम कमीशन ऑन साइंस एंड टेक्न ॉलॉजी है, जो पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर प्रांत पेशावर में है।

शाह को ईडी ने 2005 के धन शोधन के एक मामले में पिछली 25 जुलाई को गिरफ्तार किया था। ईडी ने असलम वानी को छह अगस्त को गिरफ्तार किया था। वानी ने कथित तौर पर स्वीकार किया है कि उसने हवाला के जरिए शाह के पास 2.25 करोड़ रुपये पहुंचाए थे।

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नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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