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हेल्थ

टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित बुजुर्गो को फ्रैक्चर का जोखिम ज्यादा

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नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)| एक अध्ययन से पता चला है कि टाइप-2 डायबिटीज वाले उम्रदराज लोगांे और बुजुर्गो की कॉर्टिकल हड्डी कमजोर हो जाती है, जिससे उन्हें फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है। हड्डी की घनी बाहरी परत को कॉर्टिकल कहते हैं, जो अंदरूनी भाग की रक्षा करती है। टाइप-2 डायबिटीज से वृद्धों की इस हड्डी की बनावट बदल सकती है और फ्रैक्चर का जोखिम पैदा हो सकता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कहा कि टाइप-2 डायबिटीज एक गंभीर पब्लिक हैल्थ समस्या है। बुजुर्गो की आबादी बढ़ने के साथ साथ यह समस्या भी बढते जाने की संभावना है।

मधुमेह वाले अधिकांश लोग टाइप-2 डायबिटीज वाले हैं। इसके रोगियों में इंसुलिन तो बनता है, लेकिन कोशिकाएं इसका इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। इसी को इंसुलिन प्रतिरोध कहा जाता है।

आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, टाइप-2 डायबिटीज आमतौर पर खाने-पीने की खराब आदतों, मोटापे और शारीरिक कसरत न करने की वजह से उत्पन्न होती है। चूंकि शरीर ग्लूकोज को कोशिकाओं तक पहुंचाने में इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता, इसलिए यह ऊतकों, मांसपेशियों और अंगों में वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर करता है। यह एक चेन रिएक्शन की तरह होती है और कई लक्षणों के साथ बढ़ती जाती है।

डॉ. अग्रवाल ने कहा, टाइप-2 डायबिटीज समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होती जाती है और शुरुआत में इसके लक्षण बहुत हल्के फुल्के होते हैं। जीवनशैली के मुद्दों के अलावा, ऐसे अन्य कारक भी हैं जो इस विकार के विकास में योगदान कर सकते हैं। कुछ लोगों के लीवर में बहुत अधिक ग्लूकोज पैदा होता है। कुछ लोगों में टाइप-2 डायबिटीज की आनुवांशिक स्थिति भी हो सकती है। मोटापा इंसुलिन प्रतिरोध के खतरे को बढ़ाता है।

उन्होंने कहा कि टाइप-2 डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों में प्रमुख हैं- लगातार भूख लगते रहना, ऊर्जा की कमी, थकान, वजन घटना, अत्यधिक प्यास लगना, बार बार मूत्र करना, मुंह सूख जाना, त्वचा में खुजली और दृष्टि धुंधलाना। चीनी के स्तर में वृद्धि से यीस्ट का संक्रमण हो सकता है, घाव भरने में ज्यादा समय लगता है, त्वचा पर काले पैच पड़ जाते हैं, पैर में तकलीफ और हाथों में सुन्नपन पैदा हो सकती है।

डॉ. अग्रवाल ने कहा, पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल, साबुत अनाज, मछली और बादाम जैसे नट्स के साथ स्वस्थ आहार लेने से, टाइप-2 डायबिटीज के मरीज में जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। सस्ते, कैलोरी से भरे, कम पोषक तत्वों वाले भोजन की अधिकता से टाइप-2 डायबिटीज की दुनिया भर में बढ़त जारी है। सब्जियां, ताजे फल, साबुत अनाज और असंतृप्त वसा से इस रोग का खतरा कम होता है, इसलिए जरूरत इस बात की है कि इन चीजों को किफायती दरों पर आसानी से अधिकाधिक उपलब्ध कराया जाए।

टाइप-2 डायबिटीज के प्रबंधन में मदद कर के कुछ टिप्स :

* अपने आहार में फाइबर और स्वस्थ कार्बोहाइड्रेट से युक्त खाद्य पदार्थो को शामिल करें। फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाने से रक्त शर्करा का स्तर स्थिर रहने में मदद मिलेगी।

* नियमित अंतराल पर खाएं और भूख लगने पर ही खाएं।

* अपना वजन नियंत्रित रखें और अपना दिल स्वस्थ रखें। इसका मतलब है कि रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, मिठाई और एनीमल फैट कम से कम खाएं।

* अपने दिल को स्वस्थ बनाए रखने में मदद के लिए रोजाना आधा घंटा तक एरोबिक व्यायाम करें। व्यायाम भी रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है।

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लाइफ स्टाइल

पोषक तत्वों से भरपूर चुकंदर इन लोगों के लिए है नुकसानदेह, जानें कैसे  

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Beetroot Side Effects

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नई दिल्ली। चुकंदर हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। कई सारे पोषक तत्वों से भरपूर चुकंदर हमारे स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि त्वचा और बालों के लिए भी काफी लाभदायक है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई पोषक तत्वों से भरपूर चुकंदर हमारे लिए हानिकारक भी साबित हो सकता है।

दरअसल, इसे खाने के जितने फायदे होते हैं, उतने ही इसके साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। कुछ बीमारियों से पीड़ित लोगों के भूलकर भी चुकंदर का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना उनके लिए भारी पड़ सकता है। तो चलिए जानते हैं इन लोगों के लिए नुकसानदेह है चुकंदर का सेवन-

लो ब्लड प्रेशर

अगर आप लो ब्लड प्रेशर के मरीज हैं, तो चुकंदर खाना आपके लिए हानिकारक हो सकता है। चुकंदर में नाइट्रेट की अधिक मात्रा पाई जाती है, जिसे पाचन तंत्र नाइट्रिक ऑक्साइड में बदल देता है। नाइट्रिक ऑक्साइड शरीर में खून को पतला करता है, जिससे ब्लड प्रेशर कम होता है। ऐसे में अगर आप पहले से ही लो ब्लड प्रेशर के मरीज हैं, तो चुकंदर का सेवन न करें।

किडनी स्टोन

यूरोलिथिएसिस यानी किडनी स्टोन में भी चुकंदर का सेवन करना हानिकारक माना गया है। किडनी स्टोन से पीड़ित लोगों को चुकंदर से दूरी बनानी चाहिए, क्योंकि इसमें भारी मात्रा में मौजूद ऑक्सालेट किडनी स्टोन की समस्या और भी ज्यादा और गंभीर बना सकता है।

डायबिटीज

अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो भी आपको चुकंदर का सेवन नहीं करना चाहिए। चुकंदर खाने से डायबिटीज के मरीजों में नर्व डैमेज का खतरा बना रहता है। साथ ही चुकंदर का जूस पीने से शरीर में फाइबर कम होता है और ग्लाइसेमिक लोड काफी बढ़ जाता है। ऐसे में बेहतर होगा कि डायबिटीज के मरीज चुकंदर से परहेज करें।

एलर्जी

कई बार चुकंदर का सेवन करने कुछ लोगों को त्वचा पर चकत्ते, पित्त पथरी, खुजली, ठंड लगना और बुखार जैसी समस्याएं होने लगती हैं। साथ ही चुकंदर का जूस पीने से भी कई लोगों कुछ दिक्कतें होने लगती हैं। ऐसे में अगर आपको चुकंदर से ऐसी कुछ एलर्जी महसूस हो, तो इसका सेवन न करें।

लिवर को होता है नुकसान

ज्यादा मात्रा में चुकंदर सेवन करने कई बार लिवर डैमेज होने की समस्या भी हो सकती है। दरअसल, चुकंदर में आयरन, कॉपर और अन्य मिनरल्स की भारी मात्रा पाई जाती है, जो इसके अधिक सेवन से लिवर में जमा हो जाते हैं, जिससे आपको समस्या हो सकती है।

डिसक्लेमर: लेख में उल्लिखित सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के लिए हैं न कि किसी पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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