आध्यात्म
क्या आपके घर के मंदिर में भी है ये घातक कमियां, जानें यहां
जैसा की हम सभी जानते है कि भगवान की पूजा हर घर में की जाती है। लोग अपने घर में भगवान को एक खास जगह देते है उस जगह को हम ‘मंदिर’ के नाम से जानते है। मंदिर का छोटा-बड़ा होना मायने नहीं रखता लेकिन उसका वास्तु के अनुसार होना यह अत्याधिक मायने रखता है।
तो आइये आपको आपके घर के मंदिर से जुड़ी ऐसी ज़रूरी बातो के बारे में बताते है, जोकिं घर में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं का परिणाम है।
1-आपके घर के मंदिर के आसपास बाथरूम का होना अच्छा नहीं माना जाता है। इसके अलावा मंदिर को कभी किचन में भी नहीं बनवाना चाहिए,वास्तु के हिसाब से ये अच्छा नहीं माना जाता है।
2-मंदिर को कभी भी अपने घर की दक्षिण और पश्चिम दिशा में ना बनवाये। ऐसा होने से परिवार के सदस्यों पर बहुत बुरा असर पड़ता है। मंदिर को हमेशा घर की पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। ऐसा करने से घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
3-इस बात का हमेशा ध्यान रखे की आप अपने घर के मंदिर में भगवान की जिन मूर्तियों को रखते है। उनमे हमेशा एक इंच का फासला ज़रूर होना चाहिए। इसके अलावा भगवान को कभी भी आमने सामने नहीं रखना चाहिए। ऐसा होने से आपके जीवन में तनाव हो सकता है।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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