Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

जद (यू) फिर राजग में शामिल, शरद को चेतावनी

Published

on

Loading

पटना, 19 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार में महागठबंधन तोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ सरकार बना लिए जाने के बाद पार्टी नेतृत्व से बगावती तेवर अपनाए पूर्व जद(यू) अध्यक्ष शरद यादव ने जहां शनिवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के समानांतर ‘जनअदालत’ लगाकर पार्टी के नेतृत्व को चुनौती दी, वहीं पार्टी ने भी उन पर कार्रवाई करने का स्पष्ट संदेश सुना दिया। पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार ने सीधे तौर पर शरद यादव को पार्टी तोड़ने की चुनौती भी दी। इस बीच जद (यू) अब एकबार फिर भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हो गई।

पटना में शनिवार को हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जद (यू) के राजग में शामिल होने का एक प्रस्ताव पारित किया।

बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता क़े सी़ त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार के आवास पर जद (यू) कार्यकारिणी की बैठक हुई, जहां औपचारिक रूप से राजग में शामिल होने का फैसला किया गया।

उन्होंने कहा, नीतीश कुमार को सभी 15 राज्य इकाइयों, बिहार के 71 विधायकों, पार्टी के अधिकारियों का समर्थन प्राप्त है। शरद यादव को कांग्रेस और भ्रष्ट राजद गुमराह कर रही है, वे ही समांतर बैठक के लिए उनकी मदद कर रही है।

त्यागी ने कहा कि पार्टी विरोधी कायरे में शामिल होने के बावजूद इस बैठक में पूर्व अध्यक्ष शरद यादव के खिलाफ कोई कार्रवाई करने का निर्णय नहीं लिया गया है। पार्टी ने इसे नजरअंदाज किया।

उन्होंने कहा, शरद पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, उनके साथ मिलकर हमलोगों ने वर्षो तक काम किया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाइयां लड़ी हैं।

हालांकि उन्होंने शरद को चेतावनी भरे लहजे में कहा, अगर 27 अगस्त को वे राजद की रैली में वर्तमान राजनीति के सबसे भ्रष्टाचारी माने जाने वाले लालू प्रसाद के साथ नजर आते हैं, तो वे लक्ष्मण रेखा पार कर जाएंगे। इसके बाद पार्टी कड़ी कार्रवाई करेगी।

पटना में आयोजित इस बैठक में जद (यू) के सभी आमंत्रित सदस्य शामिल हैं।

इस बीच पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार ने पार्टी के किसी भी टूट की संभावना से इंकार करते हुए कहा कि कुछ लोग मीडिया में बने रहने के लिए ऐसा बोलते रहते हैं। उन्होंने कहा कि जद (यू) के लोग एकजुट हैं।

जद (यू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद आयोजित खुला अधिवेशन को संबोधित करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री और पार्टी के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा, राजनीति तमाशा नहीं जनसेवा है। बिहार का जनादेश पिछलग्गू बनकर हर तरह के कुकर्मो का समर्थन करना नहीं था, बल्कि न्याय के साथ विकास का है।

मुख्यमंत्री ने राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद और पार्टी से बागी बने शरद यादव पर निशाना साधते हुए कहा, बिहार में महागठबंधन को जनादेश भ्रष्टाचार या परिवारवाद का समर्थन करने के लिए नहीं मिला था। महागठबंधन में जो हालत पैदा हो गए थे, उसमें 20 महीने तक सरकार चला दिया यह बड़ी बात है।

जद (यू) के टूट के किसी प्रकार की खबर को निराधार बताते हुए नीतीश ने कहा कि पार्टी में कहीं टूट नहीं है। सभी विधायक, विधानपार्षद राज्य समितियां साथ हैं। उन्होंने ऐसे लोगों को चुनौती देते हुए कहा कि जिसे पार्टी तोड़ना है, तोड़कर दिखाएं।

उल्लेखनीय है कि 17 वर्षो के बाद जून, 2013 में जद (यू) और भाजपा अलग हो गए थे। इसके बाद फिर से नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) राजग में शामिल हो गई।

इस बीच एक ओर जहां मुख्यमंत्री आवास पर जद (यू) कार्यकारिणी की बैठक हो रही थी, वहीं जद (यू) से बागी हुए पूर्व अध्यक्ष शरद यादव पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हल में समानांतर बैठक कर शक्ति प्रदर्शन किया। ‘जनअदालत’ के नाम के इस कार्यक्रम में शरद के समर्थकों ने भाग लिया। इस बीच मुख्यमंत्री आवास और राजभवन के सामने शरद समर्थकों ने हंगामा किया और मीडिया के लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया।

इस ‘जनअदालत’ में भाग ले रहे लोगों को संबोधित करते हुए शरद यादव ने कहा कि जिस घर को उन्होंने बनाया था, आज उसी घर को लोग कह रहे हैं कि यह घर उनका नहीं है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि उनको बेघर करने की कोशिश की जा रही है।

जद (यू) के पूर्व अध्यक्ष ने बिहार में महागटबंधन टूटने को जनादेश के साथ विश्वासघात की बात करते हुए कहा कि यहां गठबंधन की सफलता के बाद आगे गठबंधन की योजना बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि जनता दल के आकार को बड़ा जनता दल बनाना था।

उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने भाजपा के विजयी रथ को रोकते महागठबंधन को पांच वर्षो के लिए जनादेश दिया था, परंतु इसे बीच में ही तोड़ दिया गया। जनादेश को धरोहर बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे छोड़ना सही नहीं है। यह जनादेश का अनादर है।

इस बीच अब यह तय माना जा रहा है कि जद (यू) में दो गुट बन गए हैं और बस औपचारिक घोषणा बाकी है।

Continue Reading

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

Published

on

Loading

सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

Continue Reading

Trending