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नेशनल

केंद्र ने उत्तर प्रदेश में बच्चों की मौतों पर रिपोर्ट मांगी

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नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने शनिवार को उत्तर प्रदेश सरकार से गोरखपुर के एक अस्तपाल में पिछले पांच दिनों में 60 से अधिक बच्चों की मौतों को लेकर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया कि राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल तथा स्वास्थ्य सचिव सी. के. मिश्रा से गोरखपुर जाने और बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में खामियों का पता लगाने के लिए कहा गया है, जहां बच्चे भर्ती थे।

इस बीच, उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बी.आर.डी. मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रमुख को लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया है।

स्वास्थ्य सचिव मिश्रा गोरखपुर पहुंच गए हैं, जबकि अनुप्रिया जल्द ही वहां पहुंचने वाली हैं।

अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), सफदरजंग अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सकों के एक प्रतिनिधिमंडल को बीआरडी के चिकित्सकों की मदद के लिए भेजने की योजना बनाई है।

गौरतलब है कि अस्पताल में पिछले करीब पांच दिनों में 63 बच्चों की मौत एंसेफेलाइटिस और कथित तौर पर ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद होने के कारण हो गई। इनमें से 30 मौतें 48 घंटे के भीतर हुईं।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज को उप्र सरकार द्वारा एंसेफेलाइटिस से निपटने के लिए अनुदान के रूप में काफी बड़ी राशि दी जा रही थी। हालांकि अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि बड़ी मात्रा में सरकारी अनुदान मिलने के बावजूद यहां न तो चिकित्सक हैं और न ही उपचार की उचित व्यवस्था, उचित दवाइयां या ऑक्सीजन की आपूर्ति रही।

इससे पहले शनिवार को मुख्यमंत्री योगी ने अपनी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन को इस हिदायत के साथ गोरखपुर भेजा कि ‘त्रासदी के लिए जिम्मेदार किसी को भी छोड़ा न जाए’।

इस मामले में विपक्ष की कड़ी आलोचना झेल रहे योगी के कार्यालय ने शनिवार दोपहर स्वास्थ्य मंत्री सिंह के हवाले से ट्वीट कर बताया कि चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रिंसिपल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

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उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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