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नेशनल

स्वतंत्रता दिवस के कारण मेट्रो स्टेशनों पर पार्किं ग नहीं

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नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस)| स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर सुरक्षा कारणों से दिल्ली मेट्रो अपने सभी स्टेशनों पर पार्किं ग स्थल बंद रखेगा, जो कार्यक्रम के एक दिन पहले से बंद हो जाएंगे। शनिवार को इसकी घोषणा की गई। दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) ने अपने बयान में कहा, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपनाए गए सुरक्षा उपायों के मद्देनजर सोमवार 14 अगस्त, 2017 सुबह छह बजे से लेकर मंगलवार 15 अगस्त, 2017 तक दिल्ली मेट्रो स्टेशनों पर पार्किं ग सुविधा नहीं उपलब्ध होगी।

ट्रांसपोर्टर इस अवसर का उपयोग स्वच्छ भारत अभियान के तहत खाली पार्किं ग स्थल को साफ करने में करेंगे और इसका अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपेंगे।

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उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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