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आध्यात्म

जेकेपी का सेल्‍फ डिफेंस प्रोग्राम लिम्‍का बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज

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लखनऊ। श्रीकृपालु जी महाराज की ओर से समाजसेवा के लिए स्‍थापित की गई संस्‍था जगद्गुरु कृपालु परिषत् (जेकेपी) और अभिसेल्‍फ प्रोटेक्‍शन ट्रस्‍ट को लड़कियों के सेल्‍फ डिफेंस ट्रेनिग प्रोग्राम आयोजित करने के लिए लिम्‍का बुक ऑफ रिकार्ड्स में स्‍थान दिया गया है।

जगद्गुरु कृपालु परिषत् ने मनगढ़ धाम में सितंबर 2016 में ट्रेनिंग प्रोग्राम ‘मेरी रक्षा मेरे हाथों में’ आयोजित किया था।

इसमें 5700 लड़कियों ने एक साथ सेल्‍फ डिफेंस की ट्रेनिंग लेकर अपनी कला का प्रदर्शन किया था। इससे पहले दिल्‍ली पुलिस और दिल्‍ली सरकार की ओर से 5000 लड़कियों को ऐसी ट्रेनिंग एकसाथ दिलाकर प्रदर्शन करने का रिकार्ड था।

जगद्गुरू कृपालु परिषत् और अभिसेल्‍फ प्रोटेक्‍शन के संयुक्‍त तत्‍वाधान में चलाए गए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की खास बात यह थी कि इसमें भाग लेने वाली लड़कियां ग्रामीण पृष्‍ठभूमि की थीं।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में परिषत् के अपने तीन विद्यालयों के अतिरिक्‍त कुंडा (प्रतापगढ़, उप्र) क्षेत्र के 13 अन्‍य विद्यालयों की लड़कियों ने भी हिस्‍सा लिया था।

इस अवसर पर स्‍थानीय प्रेस क्‍लब में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में परिषत् के सचिव राम पुरी ने कहा कि श्रीमहाराज जी की प्रेरणा से हम लोग काफी समय से बालिका शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं। हमारे तीनों विद्यालयों में प्राइमरी से लेकर परास्‍नातक तक की शिक्षा लड़कियों को निःशुल्‍क दी जाती है।

रामपुरी ने कहा कि समाज के लड़कियों के प्रति बढ़ते अपराध को देखते हुए जेकेपी का यह मानना है कि यह सामाजिक समस्‍या है जिसका हल समाज से ही निकल सकता है।

उन्‍होंने कहा कि श्रीमहाराज जी की सोच यह थी कि लड़कियों को जीवन के हर क्षेत्र में मजबूत किए बगैर कोई भी समाज मजबूत नहीं हो सकता। इसी प्रेरणा को ध्‍यान में रखते हुए हम लोगों ने लड़कियों के सेल्‍फ डिफेंस का कार्यक्रम आयोजित किया था।

जेकेपी के सचिव ने कहा कि श्रीमहाराज जी के ब्रह्मलीन होने के बाद उनकी सुयोग्‍य सुपुत्री और जेकेपी की अध्‍यक्षा डा.विशाखा त्रिपाठी का नेतृत्‍व हमारे लिए प्रेरणादायी रहा है।

श्रीमहाराज जी ने अपने जीवनकाल में ही अपनी पुत्री डा.विशाखा त्रिपाठी को जेकेपी का अध्‍यक्ष बना दिया था और उन्‍होंने श्रीमहाराज जी के सभी सेवा प्रकल्‍पों को सुचारू रूप से गति देने का काम किया।

लिम्‍का बुक ऑफ रिकार्ड्स में कार्यक्रम का नाम दर्ज होने पर संतोष व्‍यक्‍त करते हुए राम पुरी ने कहा कि जब किसी अच्‍छे कार्य को सराहना मिलती है तो स्‍वाभाविक रूप से खुशी होती है लेकिन इसके साथ-साथ उस कार्य को और ज्‍यादा जिम्‍मेदारी पूर्वक निभाने का दायित्‍व भी कंधों पर आ जाता है।

ट्रेनिंग प्रोग्राम के प्रशिक्षक यश भारती पुरस्‍कार से सम्‍मानित अभिषेक यादव ‘अभि’ ने प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि जेकेपी द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम वास्‍तव में समाज के लिए एक ऐसा उदाहरण है जिससे लोगों में महिला सुरक्षा के प्रति जागरूकता आएगी।

अभिषेक ने बताया कि जगद्गुरू कृपालु परिषत् और अभिसेल्‍फ प्रोटेक्‍शन का यह लक्ष्‍य है कि अधिक से अधिक लड़कियों को सेल्‍फ डिफेंस प्रोग्राम के जरिए प्रशिक्षित किया जाय ताकि समय आने पर वे ऐसे असामाजिक तत्‍वों का मुकाबला करने में सक्षम हो जो महिलाओं के प्रति अपराध करने के लिए तत्‍पर
रहते हैं।

अभिषेक यादव ‘अभि’ ने बताया कि अभी तक साठ हजार पुलिस कर्मियों और डेढ़ लाख से ज्‍यादा ल‍ड़कियों को सेल्‍फ डिफेंस की ट्रेनिंग दे चुका हूं। उप्र और हरियाणा में हमारा ट्रेनिंग प्रोग्राम चल रहा है। इसे पूरे देश में चलाने का लक्ष्‍य है।

अभिषेक यादव ‘अभि’ ने कहा कि निर्भया कांड के बाद इस बात की जरूरत ज्‍यादा महसूस की जाने लगी कि लड़कियों को आत्‍मरक्षा का गुर सिखाना कितना जरूरी है। यह काम सिर्फ सरकार अथवा प्रशासन के ऊपर नहीं छोड़ा जा सकता। इसके लिए समाज से ही लोगों को निकलकर सामने आना पड़ेगा।

 

 

आध्यात्म

आज होगी मां दुर्गा के अष्टम रूवरूप महागौरी की पूजा-अर्चना, इन बातों का रखें ख्याल, मिलेगी विशेष कृपा

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नवरात्र पर्व के आठवें दिन महागौरी की पूजा होती है। महागौरी गौर वर्ण की है और इनके आभूषण और वस्त्र स्वेत रंग के हैं। इनकी उम्र आठ साल की मानी गई है। इनकी चार भुजाएं है और वृषभ पर सवार होने के कारण इन्हें वृषारूढा भी कहा जाता है। सफेद वस्त्र धारण करने के कारण इन्हें स्वेतांबरा भी कहा गया है।

मां महागौरी देवी पार्वती का एक रूप हैं। पार्वती ने भगवान शिव की कठोर तपस्या करने के बाद उन्हें पति के रूप में पाया था। कथा है कि एक बार देवी पार्वती भगवान शिव से रूष्ट हो गईं। इसके बाद वह तपस्या पर बैठ गईं। जब भगवान शिव उन्हें खोजते हुए पहुंचे तो वह चकित रह गए। पार्वती का रंग, वस्त्र और आभूषण देखकर उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं। महागौरी करुणामयी, स्नेहमयी, शांत तथा मृदुल स्वभाव की हैं। मां गौरी की आराधना सर्व मंगल मंग्लये, शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्रयंबके गौरि नारायणि नमोस्तुते..। इसी मंत्र से की जाती है। कहा जाता है कि एक बार भूखा शेर उन्हें निवाला बनाने के लिए व्याकुल हो गया पर उनके तेज के कारण वह असहाय हो गया। इसके बाद देवी पार्वती ने उसे अपनी सवारी बना लिया था। मां के आठवें स्वरूप महागौरी की आराधना करने से धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

अष्टमी के दिन करें कन्या पूजन

नवरात्र पर्व पर दुर्गाष्टमी के दिन कन्याओं की पूजा की जाती है। जिसे कंचक भी कहा जाता है। इस पूजन में नौ साल की कन्याओं की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि महागौरी की उम्र भी आठ साल की थी। कन्या पूजन से भक्त के पास कभी भी कोई दुख नहीं आता है और मां अपने भक्त पर प्रसन्न होकर मनवांछित फल देती हैं।

महागौरी की पूजा का महत्व

आदि शक्ति देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा करने से सभी ग्रह दोष दूर हो जाते हैं। महागौरी की आराधना से दांपत्य जीवन, व्यापार, धन और सुख समृद्धि बढ़ती है। जो भी देवी भक्त महागौरी की सच्चे मन से आराधना व पूजन अर्चन करता है उसकी सभी मुरादें पूरी करती हैं। पूजा के दौरान देवी को अर्पित किया गया नारियल ब्राम्हण को देना चाहिए।

कन्या पूजन विधि

नवरात्रि की अष्टमी के दिन कन्याओं को उनके घर जाकर निमंत्रण दें।

इसके बाद कन्याओं का पूरे परिवार के साथ चावल और फूल के साथ स्वागत करें।

नवदुर्गा के सभी नामों के जयकारे लगाएं। फिर कन्याओं को आरामदायक और साफ जगह पर बैठा दें।

सभी कन्याओं के पैर धोकर अच्छे से साफ करें। फिर सभी का कुमकुम का टिका लगाएं।

इन सभी कन्याओं को मां भगवती का स्वरुप समझकर उन्हें भोजन कराएं।

अंत में उन्हें दक्षिणा और कुछ उपहार देकर ही घर से विदा करें।

कन्या पूजन में इन बातों का रखें खास ख्याल

ध्यान रखें की कन्या पूजन में 9 कन्याओं के साथ 1 बालक को जरूर बैठाएं। बालक को भैरव का रूप माना जाता है।

कन्याओं के तुरंत बाद लाकर उनके हाथ पैर जरुर धुलवाए और उनका आशीर्वाद लें।

कुमकुम का तिलक लगाने के बाद सभी कन्याओं को कलावा भी जरुर बांधे।

 

 

 

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