नेशनल
गुजरात में बीजेपी ने बनाई हैट्रिक, कांग्रेस को मुश्किल में डाला
अहमदाबाद। गुजरात में बीजेपी की हैट्रिक ने कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया है। दरअसल कांग्रेस के तीन विधायकों ने हाथ का साथ छोडक़र कम का फूल थाम लिया है। इन तीनों विधायकों के इस्तीफे ने गुजरात में राज्यसभा का चुनाव दिलचस्प बना दिया है।
गुजरात कांग्रेस के तीन विधायक बलवंत सिंह राजपूत, तेजस्वी पटेल और पीआई पटेल गुरुवार को इस्तीफा देर बीजेपी में शामिल हो गए। तीनों विधायकों ने गांधीनगर में अपने इस्तीफे का पत्र विधानसभा अध्यक्ष रमनलाल वोरा को सौंपा। वोरा ने कहा कि यह तीनों अब आठ अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं डाल पाएंगे, क्योंकि ये अब सदन के सदस्य नहीं हैं।
कांग्रेस के तीनों विधायक पिछले कुछ दिनों से पार्टी आलाकमान से नाराज चल रहे थे। ये विधायक पूर्व नेता विपक्ष शंकर सिंह वाघेला के करीबी माने जाते हैं।
बलवंत सिंह राजपूत को बीजेपी ने आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए राज्य से अपना उम्मीदवार बनाया है। राजपूत को बीजेपी ने सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल को संसद के ऊपरी सदन में फिर से निर्वाचित होने से रोकने के प्रसास में मैदान में उतारा है।
इन इस्तीफों के बाद 182 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या घटकर 54 रह गयी है। वैसे कांग्रेस उम्मीदवार को जीत के लिये कम से कम 47 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी और ऐसे में कांग्रेस अगर अपने बाकी विधायकों को एकजुट रखने में कामयाब रहती है तो अहमद को मुश्किल नहीं होगी।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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