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गुलाब से यूं पाएं निखरी त्वचा

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नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)| गुलाब न सिर्फ अपनी खुशबू से मन को सुकून पहुंचाते हैं, बल्कि ये त्वचा में नमी भी बनाए रखते हैं और चेहरे पर निखार लाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि गुलाब की पंखुड़ियों के कई फायदे हैं।

सोल्फ्लावर के प्रबंध निदेशक अमित सारदा और ऑर्गेनिक हार्वेस्ट की ट्रेनिंग हेड व सौंदर्य विशेषज्ञ सोनिया माथुर ने गुलाब के इस्तेमाल से खूबसूरत त्वचा पाने के संबंध में ये जानकारियां दी हैं :

* पानी में मिली गुलाब की पंखुड़ियों का सत्व या गुलाब जल त्वचा को नमी प्रदान करता है और ताजगी देता हैं। यह त्वचा में ऑयल को नियंत्रित करता है और पीएच बैलैंस बनाए रखता है। विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होने के कारण गुलाब से बना एसेन्शल ऑयल त्वचा के रुखेपन को दूर करता है और निखार लाता है।

* गुलाब जल और नींबू के रस से बना टॉनिक चेहरे पर लगाने से कील, मुंहासे कम होते हैं। चेहरे पर इसे 15 मिनट तक लगा रहने दे, इसके बाद गुनगुने पानी से धो लें। यह सामान्य और तैलीय त्वचा दोनों के लिए उपयुक्त है।

* नियमित रूप से इस्तेमाल के लिए कॉटन बॉल या रूई के फाहे को गुलाब जल में भिगोकर इससे चेहरा साफ करें। यह प्राकृतिक टोनर का काम करता है। ऐसा आप सुबह और रात में सोने जाने से पहले कर सकती हैं। पानी में गुलाब जल डालकर आप स्नान भी कर सकती हैं, इससे चेहरे पर चमक आती है और इसकी सौम्य खुशबू से मानसिक तनाव व शारीरिक थकान भी दूर होती है।

* गुलाब जल आंखों को स्वस्थ रखता है। इसमें मौजूद एंटी-सेप्टिक और जीवाणुरोधी गुण आंखों को धूल, गंदगी, लालिमा और मेकअप उत्पादों के केमिकल से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। दूध के साथ मिलाकर लगाने से यह आंखों के काले घेरे को भी दूर करता है।

* शैम्पू के दौरान नियमित रूप से गुलाब जल का इस्तेमाल बालों में नमी बनाए रखता है और कंडीशन करता है।

बाल धोने से 10 मिनट पहले गुलाब जल और जोजोबा ऑयल को मिलाकर लगाने से यह हेयर ड्रायर के इस्तेमाल से रूखे व बेजान हुए बालों को रिपेयर करता है।

उलझे व रूखे बालों से छुटकारा पाने के लिए आप गुलाब जल और एलोवेरा को समान मात्रा में मिलाकर स्कैल्प पर अच्छे से लगा लें और 30 मिनट तक लगाए रहने के बाद धो लें।

* गुलाब में जीवाणुरोधी, एंटी फंगल और एंटीवायरल गुण होने के कारण यह खरोंच लगी या जली त्वचा पर भी लगाया जा सकता है। इसका इस्तेमाल बुखार और खांसी में भी किया जा सकता है।

* गुलाब का खुशबू तनाव को दूर कर मूड तरोताजा करता है। यह उत्तेजना, चिंता को दूर कर राहत व सुकून का अहसास कराता है।

* गुलाब झुर्रियों को दूर कर त्वचा में कसाव लाकर जवां लुक देता है। रोजहिप सीड ऑयल का इस्तेमाल करें, जो विटामिन सी, तेल और प्रोटीन से समृद्ध होता है।

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नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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