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आध्यात्म

भक्ति धाम-मनगढ़ में 7 हजार छात्र–छात्राओं को बांटीं अध्ययन सामग्री

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भक्ति धाम-मनगढ़, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज, डॉ. विशाखा त्रिपाठी,

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जेकेपी ने किया शैक्षिक व अन्‍य उपयोगी वस्तुओं का निःशुल्‍क वितरण

भक्ति धाम, मनगढ़ (कुंडा, प्रतापगढ़)। जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा समाजसेवा के उद्देश्‍य से बनाई गई संस्‍था जगद्गुरु कृपालु परिषत् ने आज कुंडा के मनगढ़ में स्थित भक्तिधाम में छात्र-छात्राओं को अध्‍ययन सामग्री का निःशुल्‍क वितरण किया गया।

भक्ति धाम-मनगढ़, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज, डॉ. विशाखा त्रिपाठी,

इसके अलावा परिषत् ने अपनी शिक्षण संस्‍थाओं के लगभग 200 शिक्षक-शिक्षिकाओं को दैनिक उपयोग से सं‍बंधित वस्‍तुओं का भी निःशुल्‍क वितरण किया।

इस अवसर पर मौजूद जेकेपी की अध्‍यक्षा सुश्री डॉ. विशाखा त्रिपाठी, सुश्री डॉ श्यामा त्रिपाठी एवं सुश्री डॉ कृष्णा त्रिपाठी ने श्री कृपालु जी महाराज द्वारा शुरू किए गए सभी सेवा कार्यों को लगातार गतिशील बनाए रखने का संकल्‍प दोहराया।

कार्यक्रम में मनगढ़ और उसके आसपास चल रहीं 20 शिक्षण संस्‍थाओं में अध्ययनरत लगभग 7 हज़ार छात्र-छात्राओं को आमन्त्रित किया गया था।

इन समस्त छात्र-छात्राओं को अध्ययन से सम्बन्धित सामग्री एक बैग, दो बडी़ नोटबुक, चार छोटी नोटबुक, लंच बॉक्स, पानी की बोतल, रेनकॉट, चार पैन, चार पैन्सिल, रबर, स्केल, शार्पनर व ज्योमैट्री बॉक्स आदि प्रदान किये गये।

इसके अतिरिक्त उन शिक्षण संस्‍थाओं के लगभग 200 शिक्षक-शिक्षिकाओं को भी उपहार स्वरूप एक जग व चार ग्लास का एक-एक सेट प्रदान किया गया।

 

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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