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राष्ट्रनिर्माण के लिए अब लोगो में अधिक एकजुटता : नायडू

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नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)| केंद्रीय शहरी विकास और सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गत तीन वर्ष में राष्ट्र निर्माण में लोग पहले से अधिक एकजुट हुए हैं और सरकार ने उन्हें निराशा से निकालकर नई आशाओं के प्रति प्रेरित किया है।

उन्होंने कहा कि आज हर नागरिक को भारतीय होने पर गर्व महसूस होता है। केंद्र सरकार के तीन वर्ष पूरा होने के अवसर पर नायडू ने अनेक ट्वीट में लिखा, मोदी सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल ने देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए पहले से अधिक निश्चय और एकजुट किया है। लोग निराशा से बाहर निकले हैं और देश नए क्षितिज की ओर तेजी से बढ़ रहा है। 2014 में मिले जनादेश के अनुरूप रचना हो रही है।

उन्होंने लिखा, धन्यवाद टीम इंडिया, इसके तीन वर्ष के निर्णायक, ईमानदार, देखभाल करने वाले, विचारशील, प्रगतिशील, उत्तरदायी और सशक्त सुशासन ने लोगो की आशाओं और आकांक्षाओं से भरे नए भारत की बुनियाद रखी है। गांव, गरीब, किसान, युवा, मजदूर, महिला, अनुसूचित जाति और जनजाति और महिलाओं को सशक्त किया गया है और देश और देशवासियों में नए सामथ्र्य की शुरुआत हुई है।

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, मोदी सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल से हर नागरिक को भारतवासी होने पर गर्व का अनुभव हुआ है। स्वयं और नेतृत्व पर विश्वास पुन स्थापित होने से देश विकास की नई ऊंचाईयों को प्राप्त करेगा।

केंद्रीय शहरी विकास मंत्री के रूप में अपने मंत्रालय द्वारा किए गए कार्य का जिक्र करते हुए नायडू ने ट्वीट कर लिखा, तीन वर्षों के शहरी सुधार कार्यक्रमों ने पुनरुत्थानशील शहरी भारत के निर्माण के लिए शहरों और राज्य सरकारों में नया जोश भरा है। एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे शहर उन्नत शहरी जीवन की आशा का संचार कर रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री ने लिखा, धन्यवाद टीम इंडिया। पहली बार 500 अमृत शहर और 98 स्मार्ट शहरों के पास शहरी आधारभूत ढांचे और जीवन स्तर में बदलाव के लिए पांच वर्ष की कार्ययोजना है। गत तीन वर्षों में शहरी आधारभूत ढांचे में सुधार के लिए चार लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश को अनुमति प्रदान की गई है।

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नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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