आध्यात्म
यमुना किनारे आयोजन पर श्रीश्री रविशंकर को एनजीटी की फटकार
आर्ट ऑफ लिविंग और श्री श्री रविशंकर का रवैया गैर जिम्मेदाराना : एनजीटी
नई दिल्ली। राजधानी में यमुना के किनारे विश्व सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन करने को लेकर आर्ट ऑफ लिविंग के आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है।
गुरुवार को एनजीटी ने कहा कि रविशंकर की ओर से ट्राइब्यूनल की एक्सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट पर लगाए गए पूर्वाग्रह के आरोप ‘चौंकानेवाले’ हैं। एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग संस्था को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि उनका रवैया गैरजिम्मेदाराना है। संस्था मनमानी बयानबाजी नहीं दे सकती। अब मामले की अगली सुनवाई नौ मई को होगी।
दरअसल, मंगलवार को रविशंकर ने इस मुद्दे पर फेसबुक पर लिखी एक पोस्ट में कहा था कि विश्व सांस्कृतिक महोत्सव से अगर पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचा है तो इसके लिए सरकार और एनजीटी को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। रविशंकर ने एनजीटी पर नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों को अनदेखा करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि एक ऐतिहासिक कार्यक्रम को अपराध की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है।
आध्यात्म
होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.
होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?
24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।
होलिका दहन की पूजन विधि
होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।
फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।
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