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प्रादेशिक

अखिलेश सरकार के फैसले पर विपक्ष के सवाल

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लखनऊ। यूपी में अब 35 हज़ार पुलिस कर्मियों की भर्ती में अब लिखित परीक्षा नहीं होगी।आज हुई कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया।हालांकि सरकार के इस फैसले को लेकर विरोधी दल सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कैबिनेट की बैठक के बाद सचिवालय मे कहा कि सरकार ने पुलिसबल की कमी को देखते हुए 35 हजारसिपाहियों की सीधी भर्ती का फैसला किया है, जिसे अगले कुछ महीनों मे पूरा कर लिया जाएगा।इस भर्ती की खास बात ये है कि इसमे लिखित परीक्षा नहीं ली जाएगी, उम्मीदवारों केहाईस्कूल और इंटरमीडिएट में प्राप्त अंकों और शारीरिक परीक्षा के आधार पर मेरिट लिस्ट बनाकर भर्ती की जाएगी।

सरकार के इस फैसले से भले ही सूबे के युवाओ में खुसी का माहौल हो लेकिन विपक्षी पार्टियां सरकार के इस फैसले से खासी नाराज़ दिखाई दे रही हैं।और अखिलेश कैबिनेट के इस फैसले पर सवाल खड़े कर रही हैं।भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक का साफतौर पर कहना है कि जहां पहले से ही अखिलेश सरकार पर आरोप लगे हैं वहीं एक बार फिर से ऐसे फैसले को लेकर सरकार की मंशा उजागर हुई है। वहीं कांग्रेस नेता सिद्धार्थ ने भी सपा सरकार को आडें हांथो लेते हुए कहा की सरकार को पहले अपने आयोगों को ठीक करना चाहिए।

फिलहाल यूपी में होने वाली इस भर्ती में पुलिस कर्मियों को करीब 20 हजार का मासिक वेतन मिल सकता है। इससे सरकार पर लगभग 80 करोड़ रुपएका मासिक खर्चा आएगा।गौरतलब है कि इसके पहले सरकार ने 18 हजार पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती लिखित परीक्षा के आधार पर की थी लेकिन मामला कोर्ट में चला गया है और हाईकोर्ट ने मार्कर या वाइटनर लगी उत्तर पुस्तीका पर सवाल खड़े करते हुए भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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