नेशनल
2जी घोटाला : 14 जुलाई से रोजाना सुनवाई
नई दिल्ली | पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री ए. राजा तथा अन्य के विरुद्ध 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले की सुनवाई करते हुए सोमवार को अदालत ने कहा कि 14 जुलाई से आखिरी चरण की सुनवाई रोजाना होगी। सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और आरोपियों के वकीलों ने याचिका दाखिल कर सुनवाई को इस आधार पर स्थगित करने का अनुरोध किया कि दस्तावेज काफी विशाल है, काफी जटिल और तकनीकी है और इन्हें देखने के लिए कुछ और समय की जरूरत है।
इस पर विशेष न्यायाधीश ओ.पी. सैनी ने मामले को 14 जुलाई के लिए मुल्तवी कर दिया। अदालत ने साथ ही निर्देश दिया कि आगे सुनवाई को और स्थगित नहीं किया जाएगा तथा सुनवाई रोजाना होगी। सीबीआई ने 15 अप्रैल को आखिरी चरण की बहस शुरू करते हुए आरोप लगाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन संबंधी नीति पर राजा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भ्रमित किया था।
सीबीआई के मुताबिक, राजा ने 2जी स्पेक्ट्रम और संचालन लाइसेंस आवंटित करने में तरफदारी की थी, जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ। इस मामले में अदालत ने 22 अक्टूबर, 2011 को 14 आरोपियों और तीन कंपनियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोप तय किए थे। इस मामले में राजा सहित सभी आरोपी जेल से बाहर निकल चुके हैं।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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