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मनोरंजन

सीक्वल न कह कर रीमेक कहना बेहतर होगा : ‘तुम बिन 2’

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सीक्वल न कह कर रीमेक कहना बेहतर होगा :  'तुम बिन 2'

फिल्म: तुम बिन 2

सितारे: नेहा शर्मा, आदित्य सील, अशिम गुलाटी, कंवलजीत सिंह

निर्देशक-लेखक: अनुभव सिन्हा

निर्माता: भूषण कुमार, किशन कुमार, अनुभव सिन्हा

संगीत: अंकित तिवारी, निखिल विनय

गीत: मनोज मुंतशिर

कहानी: परवेज शेख, जसमीत के. रीन

रेटिंग: 2 स्टार

2001 में आयी तुम बिन तो आपको याद ही होगा ।  15 साल बाद इस फिल्म का सीक्वल बना है। इन 15 सालों में एक पीढ़ी जवान हो जाती है। फिल्म में भी कुछ ऐसा ही दिखाया गया है। इतने समय में लोग बहुत कुछ भूल जाते है खासतौर से फिल्म की कहानी के बारे में। अगर कोई फिल्म का इतना शौकीन नहीं तो उसको कहानी याद रखने में थोड़ी मुश्किल जरूर होती है। वैसे 2001 में आयी तुम बिन तो आपको याद ही होगी और अगर नहीं याद है तो तुू बिन 2 देख लीजिए क्योंकि इनकी कहानी में कोई ज्यादा फर्क नहीं है। वैसे तुम बिन 2 को फिल्म का सीक्वल न कह कर तुम बिन का रीमेक कहें तो बेहतर होगा। वो क्यों? इसकी कहानी खुद ही पढ़ लीजिए और फैसला कीजिए।

 

ये कहानी शुरू होती है एडिनबर्ग से। तरन (नेहा शर्मा) और अमर (अशिम गुलाटी) एक-दूजे से बेहद प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं। एक दिन ये दोनों बर्फ के पहाड़ों पर स्कीइंग के लिए जाते हैं, जहां अमर एक हादसे का शिकार हो जाता है। स्कीइंग करते समय वह बर्फ के तूफान में घिर जाता है और लापता हो जाता है। कई दिनों तक उसकी तलाश की जाती है, लेकिन जब उसकी कोई खबर नहीं लगती तो तरन वापस अपने घर आ जाती है।

करीब छह महीने बाद भी जब अमर घर वापस नहीं लौटता तो एक दिन उसके पिता, जिन्हें सब पापाजी (कंवलजीत सिंह) कहते हैं, तरन को समझाते हैं कि अमर को दुनिया विदा समझ उसे अपनी एक नई जिंदगी शुरू करनी चाहिए। तरन की दो बहनें गुरप्रीत और मनप्रीत भी उसे यही समझाती हैं कि उसे अब एक नई जिंदगी शुरू करनी चाहिए। एक दिन पापाजी, तरन को शेखर (आत्यि सील) से मिलवाते हैं। वो उनके दोस्त का बेटा है।

तरन अपनी एक पेस्ट्री शॉप खोलना चाहती है, जिसमें शेखर उसकी मदद करता है। दोनों एक-दूजे के करीब आने लगते हैं। दोनों एक-दूजे को पसंद भी करने लगे हैं और तरन ही बहनों के अलावा पापाजी को भी ये रिश्ता मंजूर है, लेकिन तभी एक दिन अमर वापस आ जाता है। अमर के आने से सब खुश हो जाते हैं। तरन तो चाहती ही यही थी, लेकिन न जाने क्यों न अमर के आने से खुश कम मुश्किल में ज्यादा है।

उधर, शेखर को लगता है कि अब तरन की जिंदगी में उसकी कोई जगह नहीं है। हालांकि एक दिन जब तरन, अमर को अपने और शेखर के बारे में सब कुछ बता देती है तो अमर उनके रास्ते से खुद हट जाता है। लेकिन बाद में शेखर को अहसास होता है कि उसने तरन की जिंदगी में आ कर गलती की है। वह खुद को बुरा साबित करने में लग जाता है और एक दिन सबको छोड़ कर दूर चला जाता है।

जिन लोगों ने ‘तुम बिन’ देखी है, वो अच्छे से समझ सकते हैं कि ये कहानी उससे कितनी ज्यादा मिलती है, इसलिए इसे सीक्वल कहना ही बेमानी लगता है। फिर भी ये फिल्म देखते हुए आप कहानी और इसके फिल्मांकन की वजह से खुद को फिल्म से बंधा हुआ-सा पाएंगे। और इसकी एक बड़ी वजह इसका संगीत भी है।

फिल्म की गति धीमी है। शायद काफी ज्यादा धीमी। फिर भी पहला भाग आराम से कट जाता है। कुछ मजे-मजे में भी, क्योंकि फिल्म को हल्का बनाने के लिए मनप्रीत और गुरप्रीत जैसे किरदार हैं। इस फिल्म की एक बात ये लगी कि इसमें कहानी बेशक तीन लोगों की है, लेकिन इसे कहने के लिए कुछ अन्य किरदारों का भी सहारा लिया गया है। आजकल हमारी फिल्मों में मुख्य किरदारों के आसपास के किरदारों को अहमियत दी ही नहीं जाती। इस फिल्म में दी गई है, इसलिए ये अच्छा अहसास देती है। तरन और शेखर के अलावा ऐसे ही किरदारों ने फिल्म को थोड़ा रोचक और मजेदार बनाए रखा है।

लेकिन जैसे ही फिल्म में अमर की फिल्म से एंट्री होती है तो आंसूओं के सागर बहने लगते हैं। यह कटाक्ष इसलिए, क्योंकि तरन की बेबसी और उलझन समझ तो आती है, लेकिन उसके प्रति सहानुभूति पैदा नहीं कर पाती। इसकी वजह है फिल्म का कमजोर कथानक। शेखर का किरदार मार्डन बाबाओं जैसा है, जो सच्चाई, अच्छाई, नेकी और प्यार वगैराह के साथ-साथ जिंदगी जीने के फलसफे पर भी अच्छा खासा ज्ञान रखता है। वो हर बात पर कोई उपदेश जैसी चीज सुनाने लगता है, जो बहुत झुंझलाहट पैदा करता है।

फिल्म की एक बड़ी दिक्कत इसका मेन प्लाट भी है, जो इससे पहले बॉलीवुड में कई बार अपनाया जा चुका है। प्रेम त्रिकोण में ट्विस्ट लाना हो तो पहले प्रेमी को वापस ले आओ…. यश चोपड़ा की ‘चांदनी’ में भी तो यही हुआ था। और हालिया रिलीज ‘ऐ दिल है मुश्किल’… इसलिए इस बार ‘तुम बिन’ ही सही।

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मनोरंजन

24 अप्रैल को लता दीनानाथ मंगेशकर अवॉर्ड’ से सम्मानित होंगे अमिताभ बच्चन

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मुंबई। बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन करीब पांच दशक से फिल्म इंडस्ट्री पर राज कर रहे हैं। उन्होंने एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्में दी हैं। अब तक अमिताभ को कई अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है। ऐसे में उनकी अवार्ड लिस्ट में एक और नाम जुड़ें जा रहा है।

बिग बी को लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। साल 2022 में दुनिया को अलविदा कह चुकी लगा मंगेशकर की याद में इस पुरस्कार को बनाया गया है। ये पुरस्कार खासतौर पर उन लोगों के लिए है जिन्होंने अपने काम से समाज पर बड़ा प्रभाव डाला हो।

इससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इसके बाद 2023 में यह अवार्ड लता मंगेशकर की बहन आशा भोसले को दिया गया था। वहीं अब बिग बी को भी इस अवार्ज से सम्मानित किया जाएगा। बिग बी को यह सम्मान लता मंगेशकर के पिता एवं संगीत जगत के दिग्गज दीनानाथ मंगेशकर के स्मृति दिवस पर 24 अप्रैल को दिया जाएगा।

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