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सेना ने कश्मीर मुठभेड़ के शहीदों को श्रद्धांजलि दी

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श्रीनगर| भारतीय सेना ने कश्मीर घाटी में मंगलवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए चार जवानों को बुधवार को श्रद्धांजलि अर्पित की। चिनार कॉर्प्स के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल जे.एस.संधू ने मेजर सतीश दहिया, राइफलमैन रवि कुमार, पैराट्रपर धर्मेद्र कुमार और गनर असतोष कुमार को बदामीबाग छावनी में श्रद्धांजलि अर्पित की।

मेजर दहिया (31) ने हंदवाड़ा में सैन्य अभियान की अगुवाई की थी, जिसमें तीन आतंकवादियों को मार गिराया गया था। रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, “यह अभियान उत्तर कश्मीर में आतंकवादी नेटवर्क के लिए एक जोरदार झटका था।”

मेजर दहिया हरियाणा के महेंद्रगढ़ के रहने वाले हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो वर्षीय बेटी है। दहिया कई आतंकवाद रोधी अभियानों का हिस्सा रहे और उन्हें वीरता पुरस्कार से भी नवाजा गया है।

राइफलफैन कुमार (33) जम्मू एवं कश्मीर के सांबा जिले के रहने वाले थे। वह हाजिन के एक अन्य अभियान का हिस्सा थे, जिसमें एक आतंकवादी को मार गिराया गया था।

उनके परिवार में पत्नी और तीन वर्षीय बेटी है। बयान के मुताबिक, पैराट्रपर धर्मेद्र कुमार उत्तराखंड के नैनीताल के रहने वाले थे, वह भी इसी अभियान का हिस्सा थे।

बयान के मुताबिक, “युवा पैराट्रपर ने अपने साथी जवानों के बीच खुद को एक उत्साही और साहसी जवान के रूप में स्थापित किया। उनके परिवार में उनके माता-पिता हैं।”

बयान के मुताबिक, “गनर असतोष कुमार का मन देशभक्ति और बलिदान के जज्बे से भरा हुआ था। असतोश के पिता हवा लाल साहिब भी 1999 के कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे।” उनके पिता के शहीद होने की घटना ने कुमार को 19 साल की उम्र में सेना में भर्ती होने की हिम्मत दी। उनके परिवार में मां शीला देवी हैं।

शहीदों के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक स्थानों पर ले जाया जाएगा। बयान के मुताबिक, “सेना इस दुख की घड़ी में शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ी है और हमेशा उनके सम्मान और भलाई के लिए उनके साथ रहेगी।”

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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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