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नेशनल

सीबीआई की याचिका पर मारन बंधुओं को नोटिस

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नई दिल्ली, 22 मई (आईएएनएस)| दिल्ली उच्च न्यायालय ने एयरसेल-मैक्सिस सौदा मामले में मारन बंधुओं व अन्य को निचली अदालत द्वारा बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर विचार करते हुए सोमवार को पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन, उनके भाई कलानिधि मारन तथा अन्य को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति एस.पी.गर्ग ने सीबीआई की याचिका पर मारन बंधुओं तथा अन्य से जवाब मांगा और मामले की सुनवाई की अगली तारीख 29 अगस्त तय की।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने निचली अदालत के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें मारन बंधुओं तथा अन्य पर लगाए गए सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आरोपों को खारिज कर दिया गया था। निचली अदालत ने कहा कि उसके समक्ष रखे गए सबूतों के आधार पर ‘प्रथम दृष्ट्या किसी भी आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने का मामला नहीं बनता।’

आरोपियों को बरी करने के खिलाफ ईडी के उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने के बाद न्यायालय ने पिछले सप्ताह मारन बंधुओं तथा अन्य से याचिका पर जवाब मांगा था।

सीबीआई ने मामले में मारन बंधुओं, कंपनी सन डायरेक्ट टीवी प्राइवेट लिमिटेड (एसडीटीपीएल) तथा साउथ एशिया एंटरटेनमेंट होल्डिंग्स लिमिटेड के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।

एयरसेल-मैक्सिस सौदा मामले में दयानिधि मारन पर आरोप है कि उन्होंने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग)-1 की सरकार में मंत्री पद पर रहते हुए एयरसेल कंपनी को मलेशियाई कारोबारी टी.ए.आनंद कृष्णन के हाथ बेचने को लेकर उसके मालिक शिवशंकरन को अपना हिस्सा बेचने के लिए उनपर दबाव डालकर अपने पद का दुरुपयोग किया था।

शिवशंकरन ने आरोप लगाया है कि उनकी कंपनी की बिक्री में मारन ने मैक्सिस समूह का पक्ष लिया, जिसके बदले में कंपनी (मैक्सिस) ने एस्ट्रो नेटवर्क के माध्यम से उस कंपनी में निवेश किया, जो मारन की बताई जाती है।

रकम का भुगतान उन दो कंपनियों एसडीटीपीएल तथा एसएएफआई को किया गया, जिसे कलानिधि मारन नियंत्रित करते हैं। जांच में खुलासा हुआ कि एसडीटीपीएल के मालिक कलानिधि मारन तथा उनकी पत्नी कावेरी कलानिधि हैं।

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) तथा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत आरोप-पत्र दाखिल किया गया था।

सीबीआई तथा ईडी दोनों ने ही आरोपियों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे और निचली अदालत ने सभी आरोपियों को दोनों ही मामलों में बरी कर दिया है।

ईडी ने मारन बंधुओं, कावेरी कलानिधि, एसएफएल के प्रबंध निदेशक के.षणमुगम तथा कंपनियों-एसएएफएल तथा एसडीटीपीएल- के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया था, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।

अपने आरोप पत्र में ईडी ने आरोप लगाया कि मॉरिशस की कंपनियों ने गैरकानूनी ढंग से दयानिधि मारन को 742.58 करोड़ रुपये का भुगतान किया।

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उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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