Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

हैदराबाद ने गुजरात को हरा प्लेऑफ में क्वालीफाई किया

Published

on

हैदराबाद कप्तान डेविड वार्नर, सनराइजर्स हैदराबाद, इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल), गुजरात लांयस

Loading

कानपुर। कप्तान डेविड वार्नर (नाबाद 69) और विजय शंकर (नाबाद 63) की शानदार पारियों के दम पर सनराइजर्स हैदराबाद ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 10वें संस्करण के 53वें मैच में शनिवार को गुजरात लांयस को आठ विकेट से हरा दिया।

कप्तान डेविड वार्नर, सनराइजर्स हैदराबाद, इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल), गुजरात लांयस

ग्रीन पार्क स्टेडियम में खेले गए मैच में गुजरात ने पहले बल्लेबाजी करते हुए हैदरबाद के सामने 155 रनों का लक्ष्य रखा था जिसे हैदराबाद ने 18.1 ओवर में दो विकेट खोकर हासिल कर लिया।

इस जीत के साथ ही हैदराबाद ने प्लेऑफ के लिए क्वालीफाई कर लिया है। हैदरबाद ने अपने दो विकेट 25 रनों पर ही खो दिए थे, लेकिन इसके बाद वार्नर और शंकर ने तीसरे विकेट के लिए 133 रनों का साझेदी कर टीम को जीत दिलाई।

इससे पहले, ईशान किशन (61) और ड्वायन स्मिथ (54) से मिली शानदार शुरुआत का फायदा गुजरात के शेष बल्लेबाज नहीं उठा सके और बड़े स्कोर पर जाती दिख रही गुजरात 19.2 ओवरों में 154 रनों पर ही ढेर हो गई।

नेशनल

पहले फेज के वोटर के बिगाड़ा मोदी का मूड

Published

on

Loading

सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव का पहला चरण बीत गया। सात चरण में हो रहे चुनावों का ये सबसे बड़ा और पोलिटिकल पारटीस के लिए लिटमस टेस्ट वाला चरण था। उत्तर प्रदेश की 8 सीटें वो थी जिन पर 2019 में भाजपा का पसीना छूट गया था।

जिस दिन अयोध्या में मर्यादा पुरषोत्तम राम के भव्य राम मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई और उसे देख जिस तरह का जन-ज्वार उठा उससे गदगद होकर प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने भाजपा और सहयोगी दलों के लिए 18 वें लोकसभा के लिए टारगेट सेट कर दिया 400 सीटों का और नारा दे दिया ‘अबकी बार 400 पार’। दरअसल ये 400 का टारगेट मोदी ने यूं ही नहीं सेट कर दिया। इसके पीछे कहीं न कहीं बीजेपी का कान्फिडन्स और विपक्ष को मानसिक दवाब में घेरने की रणनीति नजर आती है।

शुरुआत में जिस तरह से इंडि गठबंधन बिखरा बिखरा दिखाई दे रहा था उसे देखकर बीजेपी का ये टारगेट कठिन भी नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे जैसे कयामत की रात यानि मतदान की तारीख पास आती गई विपक्षियों को भी अपने अस्तित्व पर संकट नजर आने लगा और फिर मरता क्या न करता के मुहावरे पर अमल करते हुए सभी एक हो ही गए। दूसरी तरफ बीजेपी को 2014 और 2019 की तरह मोदी मैजिक और राम के नाम पर भरोसा था और उधर उसके वोटर के मन में अबकी बार 400 पार इतना गहरा बैठ गया था कि लगता है उसका वोटर भी घर में बैठ गया और जो मतदान प्रतिशत 2019 में करीब 69 प्रतिशत था वो करीब 60 प्रतिशत पर आकार टिक गया। यानि 9 फीसदी वोटर गर्मी में ac की हवा खा रहा था।

फिर क्या था इन्हीं 9 प्रतिशत मतदाताओं ने सत्तारूढ़ दल यानि मोदी के माथे पर चिंता की सिलवटें ला दी, लेकिन ऐसा नहीं है ये सिलवटें सिर्फ मोदी के माथे पर ही आईं हों ये लकीरें विपक्षी गठबंधन के नेताओं के माथे पर भी थीं और हो भी क्यूँ नहीं क्यूंकी evm खुलने के पहले कोई नहीं जनता कि जो वोटर घर में बैठा था वो आखिर कौन था। क्या वो सरकार से नाराज वो व्यक्ति था जिसे विपक्ष मतदान केंद्र तक लाने में सफल नहीं हो पाया या फिर ये वो आदमी था जिसे ये लग रहा था मैं वोट दूँ या न दूँ क्या फरक पड़ता है आएगा तो मोदी ही।

दरअसल उदासीनता की वजह को भी जानना जरूरी है-

2014 में बदलाव की लहर थी जनता भ्रष्टाचार की कहानियाँ सुनकर ऊब चुकी थी
2014 में मोदी पूरे देश के सामने गुजरात मॉडल लेकर आ रहे थे जिसे सोशल मीडिया के धुरंधरों ने हर फोन तक बखूबी पहुंचाया
2014 में मोदी ने जिस तरह देश को अपनी सभाओं से मथ के रख दिया उसका भी जनता पर काफी असर पड़ा
2019 में पुलवामा कांड ने राष्ट्रवाद को जगाया और 2014 में 282 सीट वाली बीजेपी 303 के आँकड़े पर पहुँच गई
लेकिन 2024 में न तो 2014 जैसे एंटी इन्कमबंसी जैसी लहर है और न 2019 जैसा राष्ट्रवाद जैसा जोश…

Continue Reading

Trending