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हेल्थ

रेड वाइन, अंगूर के तत्व अस्थमा घटाने में सहायक

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रेड वाइन और अंगूर, अस्थमा घटाने में सहायक, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, कान के संक्रमण

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रेड वाइन और अंगूर, अस्थमा घटाने में सहायक, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, कान के संक्रमण

red wine grapes

न्यूयॉर्क| रेड वाइन और अंगूर का इस्तेमाल क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और कान के संक्रमण (ओटिटिस मीडिया) को घटा सकता है। यह बात एक नए अध्ययन में कही गई है। अध्ययन के निष्कर्ष पत्रिका ‘जर्नल साइंसटिफिट रिपोर्ट्स’ में प्रकाशित हुए हैं। इसमें रिसवराट्राल की पहचान की गई है। यह एक तत्व है, जो प्राकृतिक रूप कुछ पादप खाद्य पदार्थो, जैसे- अंगूर में पाया जाता है। यह वायुमार्ग की सूजन संबंधी बीमारियों को घटा सकता और रोगजनक जीवाणु द्वारा होने वाले सूजन पर काबू कर सकता है।

नतीजे बताते हैं कि यह यौगिक सेहत के लिए फायदेमंद है और नए, प्रभावी सूजन विरोधी उपचार कारकों को विकसित करने में इस्तेमाल किया जा सकता है। जार्जिया स्टेट विश्वविद्यालय के शोधकर्ता जियान-डोंग ली ने कहा, “हमने रेड वाइन और अंगूर में एक महत्वपूर्ण घटक देखा है, जिसे रिसवराट्राल कहते हैं यह सूजन को दबा देता है।” शोधकर्ताओं ने पाया कि रिसवराट्राल एक प्रमुख जीवाणु रोगवाहक जो ओटिटिस मीडिया और सीओपीडी की वजह है को दबा देता है। यह एक नकारात्मक नियामक जिसे एमवाईडी88 लघु के के जरिए ऐसा करता है।

रिसवराट्राल पॉलिफिनाल के एक समूह का यौगिक है, जो एक एंटीआक्सिीडेंट की तरह काम करता है। यह शरीर को होने वाले नुकसान से बचाता है। इसे लंबे समय से सूजन सहित कई बीमारियों का चिकित्सकीय एजेंट माना जाता है। अध्ययन में रिसवराट्राल को एक प्रमुख श्वसन रोगजनक नानटाइपिएबल हीमोफिलस इन्फलुएंजा (एनटीएचआई) के कारण हुए सूजन को रोकने में प्रभावी पाया गया।

लाइफ स्टाइल

हार्ट अटैक से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय, सही खानपान व व्यायाम है जरूरी

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heart attack

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नई दिल्ली। आजकल हमें लगभग रोज ऐसे वीडियो देखने को मिलते हैं जिनमें बाहर से दिखने वाले एक स्वस्थ इंसान को अचानक हार्ट अटैक आता है और तुरंत ही उसकी मौत हो जाती है। ऐसा वीडियो देखकर लोग डर रहे हैं। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आप हार्ट की बीमारी से दूर रह सकते हैं।

खानपान

गेहूं की रोटी की जगह बाजरा, ज्वार या रागी अथवा इनका आटा मिलाकर बनाई रोटी खाएं।

आम, केला, चीकू जैसे ज्यादा मीठे फल कम खाएं। इनके बजाय पपीता, कीवी, संतरा जैसे कम मीठे फल खाएं।

तली और मीठी चीजें जितना कम कर दें, उतना बेहतर है।

जितनी भूख से उससे 20 फीसदी कम खाएं और हर 15 दिन में वजन चेक करते रहें।

व्यायाम

सप्ताह में पांच दिन 45 मिनट तक कसरत करें। वॉकिंग भी करते हैं तो असर दिखता है।

दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह मोटापा है। वजन जितना बढ़ेगा और हृदय रोगों का खतरा उतना ज्यादा रहेगा।

फिटनेस को इस स्तर पर लाने का प्रयास करें कि सीधे खड़े होने पर जब आप नीचे नजरें करें तो बेल्ट का बक्कल दिखे।

अगर एक से डेढ़ किलोमीटर जाना है तो पैदल जाएं।

7 घंटे की नींद जरूरी

रोजाना कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर लें।  जल्दी सोने और जल्द उठने का रूटीन बनाएं।

रात 10 से सुबह 6 बजे तक सोने का सही समय है। इससे शरीर नाइट साइकिल में बेहतर आराम कर सकेगा।

तनाव लेने से बचें, इसका सीधा असर दिमाग और दिल पर होता है।

धूम्रपान पूरी तरह छोड़ दें

लगातार धूम्रपान करने से उसका धुआं धमनियों की लाइनिंग को कमजोर करता है।

इससे धमनियों में वसा के जमा होने की आशंका और भी बढ़ जाती है।

इसी तरह अल्कोहल से दूरी बना लेते हैं तो हार्ट हेल्दी रहेगा।

कौन सा टेस्ट कराएं

30 साल की उम्र पार करते ही शुगर, लीवर, किडनी और ईसीजी जांच करानी चाहिए.

अगर आप जिम या वर्कआउट करते हैं तो अपना हार्ट और कार्डियक चेकअप जरूर कराएं.

40 साल की उम्र के बाद स्ट्रेस टेस्ट कराएं.

ट्रेडमिल टेस्ट (टीएमटी) भी जरूरी है.

स्मोकर्स, डायबिटिक और मोटापे के शिकार लोगों को स्ट्रेस टेस्ट कराना चाहिए.

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डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी मात्र सूचना के उद्देश्य से है न कि कोई डाक्टरी सलाह. सटीक जानकारी के लिए सम्बंधित विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें.

 

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