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यूपी चुनाव : चौथे चरण में 61 फीसदी वोटिंग

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लखनऊ/नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चौथे चरण के तहत गुरुवार को 12 जिलों की 53 विधानसभा सीटों पर वोट डाले गए। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, शाम पांच बजे तक 61 फीसदी मतदान हुआ।

निर्वाचन उपायुक्त विजय देव ने कहा कि शाम पांच बजे तक 61 फीसदी मतदान होने की खबर है। समय पूरा होने के बाद भी मतदाता कतारों में लगे थे, इसलिए मतदान का प्रतिशत 63 तक बढऩे की संभावना है। चौथे चरण में जिन 53 सीटों पर मतदान हुआ है, वर्ष 2012 में 59.9 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था और इन्हीं क्षेत्रों में 2014 के लोकसभा चुनाव में 57.1 फीसदी मतदान हुआ था।

मतदान सुबह सात बजे शुरू हुआ और शुरुआती छह घंटों यानी सुबह दोपहर एक बजे तक 38.14 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। इसके बाद मतदान तेजी से हुआ।

राज्य निर्वाचन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सुबह नौ बजे तक इलाहाबाद में 32.92 फीसदी, बांदा में 40.50 प्रतिशत, चित्रकूट में 43.25 प्रतिशत, फतेहपुर में 37.92 प्रतिशत, हमीरपुर में 44 प्रतिशत, झांसी में 41.75 प्रतिशत, जालौन में 35.87 प्रतिशत, कौशाम्बी में 37.67 प्रतिशत, प्रतापगढ़ में 36.07 प्रतिशत, रायबरेली में 41.58 प्रतिशत और महोबा में 41 प्रतिशत मतदान हुआ।

कुछ स्थानों से ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतें मिलीं, जिन्हें निर्वाचन आयोग ने तुरंत दूर कर लेने का दावा किया।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी व इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वी. भोसले सुबह पहले मतदान करने वालों में शामिल रहे।

गौरतलब है कि 53 विधानसभा सीटों पर कुल 680 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनमें 61 महिला उम्मीदवार हैं।

निर्वाचन अधिकारी के अनुसार, सबसे ज्यादा मतदाता ललितपुर विधानसभा क्षेत्र में हैं। इस क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 4,53,162 है, जबकि सबसे कम मतदाता अयाहशाह (फतेहपुर) विधानसभा क्षेत्र में 2,60,439 हैं।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी टी. वेंकटेश ने बताया कि चौथे चरण में दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 91,507 है। मतदान केंद्रों की संख्या 12,492 है, जबकि 19,487 मतदेय स्थल बनाए गए हैं।

उन्होंने बताया कि इस चरण में कुल 680 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनमें महिला प्रत्याशियों की संख्या 61 है। सबसे अधिक 26 प्रत्याशी इलाहाबाद उत्तरी सीट पर हैं। सबसे कम छह प्रत्याशी खागा विधानसभा (फतेहपुर), कुंडा (प्रतापगढ़) और मंझनपुर (कौशाम्बी) में है।

निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि इस चरण में 3,26,473 (18-19 वर्ष) युवा मतदाताओं ने पहली बार अपने मताधिकार का उपयोग किया। चौथे चरण में मतदेय स्थलों पर 1308 डिजिटल कैमरा तथा 991 वीडियो कैमरा की व्यवस्था की गई।

सभी चरणों में मतदान हो जाने के बाद 11 मार्च को मतों की गणना होगी। जीतने वाले होली से दो दिन पहले ही गुलाल उड़ाएंगे और आतिशबाजी कर दिवाली भी मनाएंगे।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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