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मुझे प्रधानमंत्री बना दो, चाय भी बनाता हूं : आजम खां

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आजम खांसहारनपुर,  उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खां ने मंगलवार को एक बार फिर नाम लिए बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “भाई मुझे चाय बनानी आती है और तो और मुझे ड्रम बजाना भी आता है। अब तो मुझको देश का प्रधानमंत्री बना दो।” आजम खां सहारनपुर के जनमंच सभागार में ई-रिक्शा वितरण कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, “अगर मुझे प्रधानमंत्री बना दोगे तो उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश के हर नागरिक के खाते में 25-25 लाख रुपये भिजवा दूंगा।” यह सुन सभी लोग हंसने लगे और समझ गए कि किसको निशाना बनाकर ‘जुमलेबाजी’ कर रहे हैं।

आजम ने तीन तलाक मुद्दे को लेकर भाजपा और आरएसएस के नेताओं पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि तलाक की बात वो करें, जिनकी बीवी हो। गुजरात में महिलाओं पर अत्याचार करने वाले या स्वयं शादीशुदा होते हुए भी तलाक जैसा जीवन यापन करने वालों को तलाक के मसले पर कुछ बोलने का अधिकार नहीं है।

उन्होंने कहा, “अच्छे दिन लाने का सपना दिखाने का वादा करके वो बादशाह तो बन गए, पर उनके बादशाह बनने के बाद भी अधिकांश लोगों के पास पहनने के लिए कपड़े नहीं हैं। 60 फीसद आबादी को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है। इसके बाद भी वो चुपके से पाकिस्तान में जाकर मोस्टवांटेड अपराधी दाऊद इब्राहिम से मिल आते हैं।”

आजम ने प्रसंग बदलते हुए कहा कि आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव नंबर वन मुख्यमंत्री हैं। यह बात दीगर है कि मोदी के इशारे पर चल रहा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रदेश सरकार की अच्छी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने में सहयोग नहीं कर रहा है।

आजम खां ने कहा, “मेरे पीछे इतने कुत्ते लगे हैं कि मैं अगर इन्हें भगाने पर उतरूं तो सारी जिंदगी कुत्ते ही भगाता रहूंगा, आगे चलूंगा ही नहीं।”

उन्होंने कहा, “मैं लगातार कह रहा हूं कि मुझे प्रधानमंत्री बनाओ। मैं देश चला कर दिखाऊंगा। मेरे तजुर्बे में, मेरी ईमानदारी में, मेरे स्टेटस में, मेरी शिक्षा में क्या कमी है, बस सिवाय ये कि मैं एक मुसलमान हूं।”

आजम ने यह भी कहा, “अखंड भारत का सपना मैं ही पूरा कर सकता हूं। मुजफ्फरनगर में दंगा कराकर भाजपाइयों ने केंद्र में सरकार बना ली। भाजपा आरएसएस की मदद से फिर कहीं दंगा कराकर उत्तर प्रदेश में कुर्सी हथियाने का सपना देख रही है, जो कभी पूरा नहीं होगा। क्यों? इसलिए कि प्रदेश की जनता झूठे बादशाह की हकीकत जान चुकी है।”

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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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