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नेशनल

महबूबा का भाई पीडीपी में शामिल

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महबूबा का भाई पीडीपी में शामिल

श्रीनगर | जम्मू एवं कश्मीर के दिवंगत मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद के बेटे तसदुक हुसैन शनिवार को आधिकारिक तौर पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) में शामिल हो गए। तसदुक हुसैन मुफ्ती ने इंडोर स्टेडियम में पीडीपी नेताओं और कार्यकर्ताओं के समक्ष कहा, “मैं राज्य में शांति एवं समृद्धि के लिए काम करता रहूंगा और यहां आम आदमी और वीवीआईपी एक साथ काम कर सकेंगे।”

ऐसा माना जा रहा है कि ‘ओमकारा’ और ‘कमीने’ जैसी फिल्मों में छायांकन कर चुके तसदुक को पार्टी मामलों में बहन की मदद के लिए पार्टी में शामिल किया गया है।

उन्होंने डल झील के बिगड़ रहे पारिस्थितिकी और राज्य में घट रहे वन क्षेत्र पर भी चिंता जताई।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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