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मुख्य समाचार

मलिक पर रिपोर्टर से बदतमीजी का आरोप, सफाई में बोले- जबरन घुसी बेडरूम में

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श्रीनगर। एक समाचार चैनल की महिला संवाददाता ने शुक्रवार को जम्मू कश्मीर लिबरेशन फंट्र (जेकेएलएफ) के नेता यासीन मलिक पर बदसलूकी करने और उनका फोन तोडऩे का आरोप लगाया है। जबकि, यासीन मलिक का कहना है कि महिला पत्रकार जबरन उनके बेडरूम में घुस आई थी।

मलिक ने इस मामले में समाचार चैनल ‘इंडिया टुडे’ की पत्रकार कंवलजीत संधू के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की है। जबकि, संधू ने कहा कि उन्होंने मलिक की बहन से जेकेएलएफ नेता का साक्षात्कार लेने की इजाजत मांगी थी।

उन्होंने कहा, “मुझे एक महिला से मिलवाया गया और लोगों ने उसका परिचय मलिक की बहन के तौर पर दिया। उन्होंने मुझे साक्षात्कार के लिए मलिक से मिलने के लिए अंदर जाने को कहा।”

संधू ने कहा, ” मैं बिना किसी कैमरामैन के मलिक के कमरे में गई थी। कैमरामैन बाहर इंतजार कर रहा था। जैसे ही उन्होंने मलिक को बताया कि वह समाचार चैनल इंडिया टुडे से हैं, तो वह नाराज हो गए। उन्होंने मेरा फोन छीनकर तोड़ दिया।”

पत्रकार ने कहा, “मैं और मेरे स्टाफ के अन्य सदस्यों को श्रीनगर के मैसूमा इलाके में स्थित मलिक के घर से धक्का मार कर बाहर किया गया।”

इस मामले में मलिक के पास दूसरी कहानी है। उन्होंने पुलिस को बताया कि महिला संवाददाता उनके कमरे में जबरन घुस आई और बाद में उल्टे बदसलूकी का आरोप लगा दिया।

मीडिया को संबोधित करते हुए मलिक ने कहा कि संवाददाता ने उनका साक्षात्कार लेने के लिए पहले से समय नहीं लिया था। उन्होंने कहा कि महिला ने उनकी बहन से झूठ बोला कि उन्होंने साक्षात्कार के लिए पहले से समय लिया है।

जेकेएलएफ नेता ने कहा, “मैं जब सो रहा था, तब वह अचानक मेरे कमरे में घुस आईं और अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्डिग करने लगीं।” मलिक ने कहा, “मैं उनकी इस हरकत से हैरान रह गया और मैंने इसका विरोध किया। मैंने उसका मोबाइल फोन छीन लिया और उन्हें अपने कमरे से जाने को कहा। उसके बाद वह मुझ पर अपने साथ बदसलूकी करने का आरोप लगाकर रोने लगीं।”

मलिक ने कहा, “मैं मीडिया से पूछता हूं कि क्या यह किसी व्यक्ति का साक्षात्कार लेने का सही तरीका है?” उन्होंने कहा कि उन्होंने पत्रकार के खिलाफ आपराधिक और गलत तरीके से घुसने की शिकायत दर्ज कराई है।

हाल ही में ‘इंडिया टुडे टीवी’ ने तीन अलगाववादी नेताओं पर आरोप लगाते हुए यह खुलासा किया था कि इन्हें कश्मीर घाटी में अशांति पैदा करने के लिए पाकिस्तान से पैसा मिल रहा है।

इस पर मलिक ने कहा कि अगर कोई भी यह साबित कर देता है कि श्रीनगर के मैसूमा इलाके में पैतृक घर के अलावा वह किसी अन्य संपत्ति के मालिक हैं, तो वह उसी वक्त अपना राजनीतिक करियर त्याग देंगे।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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