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बर्दवान विस्फोट : एनआईए ने 21 पर आरोप तय किए
कोलकाता | राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को बर्दवान बम विस्फोट संलिप्तता मामले में 21 लोगों के खिलाफ यहां एक विशेष अदालत में आरोप तय किए। जांच एजेंसी का कहना है कि विस्फोट में वे लोग संलिप्त थे, जो बांग्लादेश में मौजूदा लोकतांत्रिक सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रच रहे हैं। एनआईए की विशेष अदालत के समक्ष दाखिल किए गए आरोपपत्र में एजेंसी ने कहा कि बर्दवान बम विस्फोट मामले के 21 आरोपी ढाका सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए बांग्लादेश के आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) की साजिश में शामिल थे।
एनआईए ने आरोपपत्र में जिन 21 लोगों पर आरोप तय किए हैं, उनमें से चार बांग्लादेश के नागरिक हैं। इन 21 आरोपियों में से एजेंसी ने 13 को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि आठ अन्य फरार हैं। एनआईए के एक अधिकारी ने बताया, “चार बांग्लादेशी नागरिकों सहित 21 आरोपियों पर आतंकवादियों गतिविधियों, षड्यंत्र, भर्ती, वित्तीय सहायता और आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर चलाने, हथियार व विस्फोटक सामग्री की बरामदगी, जालसाजी और विदेशी अधिनियम व पासपोर्ट अधिनियमों से संबंधित आरोप तय किए गए हैं।” बम विस्फोट दो अक्टूबर को पश्चिम बंगाल के बर्दवान जिले के खग्रागढ़ में हुआ था, जिसमें जेएमबी के दो आतंकवादी मारे गए थे। 10 अक्टूबर को मामले की जांच अपने हाथ में लेते हुए एनआईए ने इस मामले में 32 लोगों पर आरोप तय किए।
एनआईए के अधिवक्ता श्यामल घोष ने कहा कि सभी 21 आरोपियों पर आतंकवादी समूह का सदस्य होने, आतंकवादी गतिविधियां चलाने, षड्यंत्र, भर्ती, आतंकवादी संगठन को वित्तीय सहायता देना, आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों का अयोजन और हथियारों व विस्फोटक सामग्री की बरामदगी सहित अलग-अलग आरोप तय किए गए हैं। श्यामल ने बताया कि बर्दवान विस्फोट संलिप्तता मामले में एनआईए ने 18 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें से दो को उनकी संलिप्तता साबित न होने पर आरोपमुक्त कर दिया गया है। हिरासत में मौजूद तीन अन्य आरोपियों के नाम का जिक्र आरोपपत्र में नहीं किया गया है।
आरोपमुक्त किए गए उन दो लोगों में से एक म्यांमार का रहने वाला खालिद मोहम्मद है। उसे पिछले साल जेएमबी से कथित जुड़ाव के चलते हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया था। एजेंसी का दावा है कि इसे अपनी जांच में पता चला है कि जेएमबी ने कई जिलों, विशेषकर मुर्शिदाबाद, नदिया, मालदा, बीरभूम और बंगाल के बर्दवान, असम के बरपेटा और झारखंड के साहेबगंज और पाकुर जैसी विभिन्न जगहों में अपना नेटवर्क बना लिया था।
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दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।
26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।
इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।
इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान
असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।
दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।
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