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नेशनल

फरार माल्या को वापस लाना अभी दूर की कौड़ी, कई महीनों का लगेगा समय

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नई दिल्ली। बैंकों का 8,000 करोड़ रुपये का कर्ज बिना चुकाए देश छोडक़र भागे उद्योगपति विजय माल्या के प्रत्यर्पण में छह से नौ महीने का समय और लग सकता है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा कि माल्या के प्रत्यर्पण के लिए हाल ही में लंदन गई सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की पांच सदस्यीय संयुक्त टीम ने इसके संकेत दिए हैं।

यह संयुक्त टीम माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर ब्रिटेन की एजेंसियों से बातचीत कर भारत लौट आई है।

अधिकारी ने बताया, “भारतीय दल ने लंदन में वेस्टमिंस्टर कोर्ट के मजिस्ट्रेट सहित कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सात बैठकें कीं। भारतीय टीम से कहा गया है कि कानूनी प्रक्रिया के चलते माल्या के प्रत्यर्पण में छह से नौ महीनों का समय लग सकता है।”

भारतीय अधिकारियों की टीम एक मई को लंदन के लिए रवाना हुई थी।

माल्या की भंग हो चुकी एयरलाइंस कपंनी ‘किंगफिशर एयरलाइंस’ से भारत के 13 बैंकों से लिए गए 8,191 करोड़ रुपये का कर्ज वसूले जाने का आदेश जारी होने के बाद माल्या पिछले वर्ष मार्च में देश छोडक़र भाग गए।

माल्या की कंपनी पर जिन कंपनियों का कर्ज है, उनमें भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, मैसूर स्टेट बैंक, एक्सिस बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक, फेडरल बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू एवं कश्मीर बैंक, आईडीबीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूसीओ बैंक और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं।

माल्या को लंदन में पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था, हालांकि उसी दिन उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। अब माल्या के मामले पर अगली सुनवाई 17 मई को होनी है।

भारत सरकार ने इसी वर्ष फरवरी में ब्रिटेन को माल्या के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक निवेदन भेजा था।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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