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दमदार है दुर्गा रानी सिंह की कहानी 2 की कहानी: पढ़े रिव्यू

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दमदार है दुर्गा रानी सिंह की कहानी 2 की कहानी: पढ़े रिव्यू

स्टार कास्ट: विद्या बालन, अर्जुन रामपाल

डायरेक्टर: सुजॉय घोष

प्रोड्यूसर: पेन इंडिया लिमिटेड

संगीत: क्लिंटन सेरेजो

जॉनर:  थ्रिलर ड्रामा

नर्देशक सुजॉय घोष एक बार फिर से कुछ अलग हट कर लाए है। इससे पहले वो 2012 में कहानी लेकर आए थे लेकिन कहानी 2 की कहानी बिल्कुल अलग है। जिसमें मुख्य किरदार में विद्या बालन और अर्जुन रामपाल नजर आएंगे। यह मूवी एक सस्पेंस थ्रिलर है और देखते वक्त मन में जिज्ञासा पैदा करती है।

कहानी

ये कहानी शुरू होती है कोलकाता के पास स्थित एक छोटे से शहर चंदनपुर में रह रही विद्या सिन्हा (विद्या बालन) से जो अपनी छोटी बेटी मिनी के साथ खुशी-खुशी रह रही है। मिनी पैरालाइज्ड (लकवाग्रस्त) है इसलिए वो चल फिर नहीं सकती है। इसके बावजूद वो दोनों खुश हैं। विद्या की एक मिडिल क्लॉस महिला की तरह रोज नए-नए संघर्ष से जूझती है। उसका बस एक ही सपना है कि उसकी बेटी का इलाज हो जाए और वो अपनी बेटी को दोबारा से चलता-फिरता देख सके। अपनी बेटी मिनी का इलाज कराने के लिए विद्या उसे अमेरिका ले जाने की तैयारी करती है। और तभी एक दिन विद्या की बेटी मिनी किडनैप हो जाती है।

उसी दौरान विद्या का एक्सीडेंट हो जाता है और वो कोमा में चली जाती है। इसके बाद एंट्री होती है सब इंस्पेक्टर इन्द्रजीत सिंह की और फिर शुरू होता है विद्या और दुर्गा रानी सिंह के बीच का खुलासा। इन्द्रजीत को पता चलता है कि एक महिला का कालीम्पोंग के स्कूल की क्लर्क चेहरा दुर्गा रानी सिंह से मिलता है। विद्या रानी सिंह किडनैपिंग और मर्डर केस में वॉन्टेट है और वह फरार है। बहुत सारे ट्विस्ट और टन्र्स आते हैं और अंतत: एक बड़ा सस्पेंस सामने आता है। इसके बाद विद्या अपनी बेटी से मिलती है या नहीं। ये आपको मूवी देख कर पता चलेगा।

अभिनय

फिल्म में विद्या के लुक एकदम सादा और ग्लैमर से दूर है। प्रमोशन पाने की चाहत रखने वाले इंस्पेक्टर के रोल में प्रभावित करते हैं। अगर आपको थ्रिलर मूवीज पसंद हैं और आप विद्या बालन के कायल हैं तो कहानी 2 को एक बार देखना तो बनता है।

स्क्रीनप्ले

फिल्म की शुरुआत बेहद दिलचस्प तरीके से शुरू होती है और इंटरवल तक स्टोरी आपको बांध कर रखने में कामयाब होती है। लेकिन इंटरवल के बाद कहानी की रफ्तार थोड़ी धीमी हो जाती है।

म्यूजिक…

फिल्म का म्यूजिक और बैकग्राउंड क्लिंटन सेरेजो ने दिया है, जो बहुत ही अच्छा है।

विद्या बालन और फिल्म की कहानी के लिए एक बार जरूर थिएटर तक जा सकते हैं। बहुत अच्छा मैसेज भी सामने आता है, जिसे आप परिवार के साथ देखेंगे तो ज्यादा प्रभाव पड़ेगा।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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