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प्रादेशिक

ताजनगरी में दूसरा बर्ड फेस्टिवल आज से, सीएम अखिलेश भी रहेंगे मौजूद

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bird-festivalलखनऊ। उत्तर प्रदेश की ताज नगरी आगरा के चंबल सफारी लॉज में दो दिसंबर से दूसरा बर्ड फेस्टिवल आयोजित होगा। बर्ड फेस्टिवल में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत 27 देशों के करीब 150 पक्षी विशेषज्ञ भाग लेंगे। तीन दिवसीय फेस्टिवल के जरिए प्रदेश में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने और पक्षियों के संरक्षण पर जोर दिया जाएगा। साथ ही विलुप्त होती पक्षियों की प्रजातियों को बचाने के लिए पक्षी विशेषज्ञ कार्यशाला में विचार विमर्श करेंगे। यही नहीं मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) भी होंगे।

प्रदेश के दूसरे बर्ड फेस्टिवल का शुभारंभ दो दिसंबर को राज्यमंत्री प्रो. अभिषेक मिश्रा करेंगे। वहीं तीन दिसंबर को अखिलेश यादव के फेस्टिवल में जाने की उम्मीद है। इस महोत्सव में कई देशों के पक्षी विशेषज्ञों की आमद के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था भी तगड़ी रखी गई है।

आयोजन स्थल पर सादा वर्दी में पुलिसकर्मियों के साथ निजी सुरक्षाकर्मी रहेंगे। वहीं चंबल सफारी लॉज से बाहर हैलीपेड बनाया गया है। इसके अलावा महोत्सव में सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की जाएगी। विदेश से आ रहे पक्षी विशेषज्ञों को एस्कॉर्ट के साथ आयोजन स्थल तक ले जाया जाएगा।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष फेस्टिवल चार से छह दिसंबर तक मनाया गया था। पिछले फेस्टिवल की अपेक्षा इस बार प्रतिदिन अधिक बच्चे और अन्य लोग फेस्टिवल में आएंगे। पहले दिन आगरा, दूसरे दिन इटावा और तीसरे दिन मैनपुरी के बच्चे आएंगे। इस बार सुबह के समय वर्कशॉप और दोपहर में बर्ड वॉचिंग कराई जाएगी।

बताया जा रहा है कि फेस्टिवल में डॉ. पामेला रासमुसेन, टिम और कैरॉल इंसकिप, डॉ. मार्टिन केल्सी, क्रेग जोंस, डॉ. धनंजय मोहन, डॉ. असद रहमानी, बिक्रम ग्रेवाल, निखिल देवासर व ब्रिटिश बर्ड फेयर के संस्थापक टिप एपलटन समेत कई पक्षी विशेषज्ञ आ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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