नेशनल
तमिलनाडु : प्रदर्शन बंद करने से पहले जल्लीकट्टू की बहाली की मांग
चेन्नई | प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को कहा कि वह पूरे तमिलनाडु में जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति मिलने तक अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे। प्रदर्शनकारी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम के दिए गए भरोसे से संतुष्ट नहीं थे कि अगले कुछ दिनों में जल्लीकट्टू का आयोजन किया जाएगा।
चेन्नई के मरीना समुद्र तट और मदुरै में प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने साफ तौर पर कहा कि वे अपना प्रदर्शन इसके आयोजन के बाद बंद करेंगे।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने पन्नीरसेल्वम का बयान पढ़कर सुनाया। इसके बाद उन्होंने लोगों से प्रदर्शन खत्म कर वहां से जाने को कहा। लेकिन, उनके आग्रह पर प्रदर्शनकारियों ने ध्यान नहीं दिया।
पन्नीरसेल्वम ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए अध्यादेश लाएगी। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से प्रदर्शन वापस लेने का आग्रह किया।
गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) पसुमई थायगम के सचिव आर. अरुल ने कहा, “छात्रों का यह विरोध प्रदर्शन केंद्र सरकार के तमिलनाडु से जुड़े कई मुद्दों जैसे कावेरी नदी जल बंटवारा, जल्लीकट्टू पर उठाए गए कदमों के नतीजे के रूप में सामने आया है।”
अरुल ने कहा कि ऐसा लगता है कि तमिलनाडु के कई मुद्दों पर केंद्र सरकार के रुख ने ही स्थिति को वहां पहुंचा दिया जिसमें पूर्व विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने भी जल्लीकट्टू के प्रति अपना समर्थन जताया और यह कहकर कि ‘मैं तमिल हूं’, अपनी तमिल पहचान का इजहार किया।
अरुल ने कहा, “आमतौर पर आनंद और उनके जैसे अन्य लोग खुद को पहले भारतीय कहलाना पसंद करते हैं।”
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की अगुवाई चाहे भारतीय जनता पार्टी करे या कांग्रेस, इन्हें देश की संस्कृति और सभ्यता की विविधता को स्वीकार करना चाहिए।
अरुल ने यह भी कहा कि प्रदर्शन के तमिल राष्ट्रीय आंदोलन में बदलने की कोई संभावना नहीं है क्योंकि इस तरह की बातों के दिन अब गुजर चुके हैं। तमिलनाडु में लोग इस तरह के आंदोलनों का समर्थन नहीं करते।”
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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