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डिप्रेशन के शिकार 40 फीसदी बुजुर्ग दोबारा नहीं आते अस्पताल

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डिप्रेशन के शिकार 40 फीसदी बुजुर्ग दोबारा नहीं आते अस्पताल

लखनऊ । भारत में बुजुर्गों की आबादी तेजी से बढ़ रही है। आने वाले 30 साल में ये आबादी दोगुना हो जाएगी। इसलिए बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए इलाज की व्यवस्था करना जरूरी है। लेकिन हैरत की बात ये है कि भारत में बुजुर्गो के मानसिक स्वास्थ्य पर शोध करने की जरूरत महसूस नहीं की जाती। केजीएमयू के वृद्धावस्था एवं मानसिक स्वास्थ्य विभाग के शोध में पता चला है कि करीब 40 प्रतिशत डिप्रेशन से ग्रसित बुजुर्ग एक बार आने के बावजूद दोबारा अस्पताल नहीं आते।

उम्र के बढ़ने साथ ही अकेलापन, आर्थिक तंगी, शारीरिक तकलीफ आदि के चलते लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। खास बात यह कि इसके उपचार के लिए जिस तरह के प्रयास होने चाहिए, वह नहीं हो पाते। इसका नतीजा यह कि तकलीफ नासूर का रूप लेने लगती है।

बुजुर्गों की इसी तकलीफ के मद्देनजर किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के वृद्घावस्था मानसिक रोग विभाग में एक शोध किया गया। इसमें सामने आया कि किस कदर लोग डिप्रेशन के उपचार के प्रति लाचार हैं। उसके विभिन्न तरह के कारण होंगे।

विभाग में एसिस्टेंट प्रो. श्रीकांत श्रीवास्तव ने बताया, “हम लोग के रिसर्च में लिए गए 100 मरीजों में से 40 एक बार के बाद दोबारा उपचार के लिए नहीं आए। 10 से 12 ने दो बार आने के बाद अब आना बंद कर दिया। आठ से 10 दो साल से लगातार आ रहे हैं।”

यह सभी व्यक्ति 6 वर्ष की अधिक उम्र के थे। इस दौरान उनसे डिप्रेशन को आंकने के लिए एक चार्ट पर लिखे 17 प्रश्नों के जवाब भी मांगे जाते हैं, जिसके विकल्प के चयन के अनुसार उनके डिप्रेशन का आकलन किया जाता है। इसमें सात अंक अर्जित करने पर व्यक्ति को स्वस्थ माना जाता है, जबकि इससे अधिक होने पर उन्हें डिप्रेशन की कैटेगरी में रखा जाता है।

प्रो. श्रीवास्तव बताते हैं कि डिप्रेशन के इलाज में कोताही के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे, मरीज का चिकित्सक व दवा के प्रति विश्वास न होना, आर्थिक तंगी, परिवार द्वारा उन्हें उपचार के लिए न लाना, डिप्रेशन में होने के चलते खुद इलाज को तैयार न होना, घर से चिकित्सालय की अत्यधिक दूरी इत्यादि।

इस वजह से कई बार रोगी उपचार से वंचित रह जाते हैं और डिप्रेशन विकराल रूप ले रहा है। इस दौरान इस शोध में प्रो. श्रीवास्तव का समाज कार्य से जुड़े बरीश कुमार ने भी अपना सहयोग दिया।

प्रो. श्रीवास्तव बताते हैं कि वर्तमान में बाहरी जिलों से आने वाले मरीजों के लिए दूरी इलाज में मुख्य रोड़ा बनती है। कई बार उन्हें 15 दिन में खास लाभ नहीं दिखता तो वह इलाज से किनारा कर लेते हैं या फिर कई बार अधिक सुधार होने पर इलाज छोड़ देते हैं। ऐसे में अब हम गूगल में उनके घर की दूरी को ध्यान में रखकर उपचार की रणनीति तैयार करेंगे।

उन्होंने कहा कि रोगियों के मोबाइल नंबर पर संपर्क कर उनके न आने का कारण भी जाना जाएगा, जिससे रोगियों के उपचार की रणनीति बनाई जा सके।

कैसे प्रश्न पूछे जाते हैं :

1- डिप्रेशन मूड, 2- फीलिग ऑफ गिल्ट, 3-जनरल सिफ्टस, 4- लॉस ऑफ वेट, 5- वर्क एंड एक्टीविटी सरीखे कुल 17 प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनके विकल्प भी दिए जाते हैं, उन्हीं विकल्पों के आधार पर उनकी तकलीफ का आकलन होता है।

क्या हैं लक्षण :

पाचन क्रिया में खराबी, लोगों से मिलने में असहज महसूस करना, इंटरनेट का अधिक इस्तेमाल, नींद की आदत में बदलाव, अत्यधिक संवेदनशील हो जाना, दुनिया भर से टकराव, आदतों में बदलाव, सेक्स की इच्छा में कमी होना, थकान और दुखी मन।

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तेजी से बढ़ रही है दिल की बीमारियों के चलते मौत, करें ये उपाय

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Death due to heart diseases increasing

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नई दिल्ली। भारत में दिल की बीमारियों के कारण होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हाई कॉलेस्ट्रॉल, धूम्रपान एवं आनुवंशिक कारणों से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ रही है। दक्षिण-पूर्वी एशियाई आबादी में आनुवंशिक रूप से दिल की बीमारियों की संभावना अधिक होती है। दिल को सुरक्षित रखने के लिए कुछ उपाय हैं, जिसे अपनाकर आप दिल की बीमारियों से दूर रह सकते हैं।

सेहतमंद आहार लें

संतुलित और सेहतमंद आहार का सेवन करने से शरीर को सही पोषण मिलता है। जंक फूड में फैट, नमक और चीनी बहुत अधिक मात्रा में होती है, जो समय के साथ हमारे दिल को बीमार बना देती है। अक्सर लोग बिना सोचे समझे प्रोसेस्ड फूड का सेवन करते हैं क्योंकि उन्हें यह बहुत आसान लगता है, लेकिन इस तरह का भोजन हमारी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। हमारे आहार में पर्याप्त मात्रा में कैलोरीज, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और लो सैचुरेटेड फैट होने चाहिए।

गतिहीन जीवनशैली से बचें

बहुत से लोग नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते। आज हममें से लाखों लोग ऐसी नौकरियां करते हैं, जिसके लिए उन्हें घंटों एक ही जगह पर बैठे रहना पड़ता है। व्यायाम की कमी व्यक्ति के लिए बेहद हानिकारक हो सकती है। यह मोटापे को जन्म देती है, जिसके कारण व्यक्ति धीरे धीरे डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियों का शिकार बन जाता है।

शारीरिक रूप से सक्रिय

व्यायाम दिल को तंदुरुस्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कार्डियो व्यायाम से दिल की पम्प करने की क्षमता बढ़ती है और दिल की मांसपेशियां तंदुरुस्त बन जाती हैं। नियमित व्यायाम करने से रक्तचाप नियन्त्रण में रहता है, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल कम होते हैं और ब्लड शुगर भी नियन्त्रित रहती है।

तनाव से बचें

तनाव आज हम सभी के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है, खासतौर पर ज्यादातर शहरी लोग अपने काम को लेकर तनाव में रहते हैं। जब आपका शरीर तनाव में रहता है, तो इसका असर शरीर के हर अंग पर पड़ता है। तनाव के समय शरीर में एड्रिनलिन हॉर्मोन ज्यादा मात्रा में बनने लगता है, अगर ऐसा नियमित रूप से होने लगे तो दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

अच्छी और गहरी नींद

समय की कमी के कारण बहुत से लोग अपनी नींद को कम कर काम करने लगते हैं। वे अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए नींद से समझौता करते हैं जो सेहत के लिए खास तौर पर दिल के लिए खतरनाक है। 7-8 घंटे से कम नींद लेने से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें

धूम्रपान और शराब का सेवन किसी भी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। आजकल विकासशील देशों में धूम्रपान का चलन तेजी से बढ़ रहा है। जो दिल के लिए नुकसानदायक है। यहां तक कि अगर आपके आस-पास कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है तो वह भी आपकी सेहत के लिए अच्छा नहीं। धूम्रपान छोड़ने के लिए परिवार और दोस्तों के सहयोग की जरूरत होती है। इसकी आदत छोड़ने के लिए निकोटीन पैच या ई-सिगरेट का इस्तेमाल किया जा सकता है।

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराकर आप दिल की बीमारियों के खतरे से बच सकते हैं। क्योंकि ऐसा करने से अगर आपको कोई समस्या है तो समय पर उसका निदान हो जाएगा और समय रहते इलाज शुरू कर बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकेगा। इसलिए नियमित रूप से अपनी जांच करवाते रहें और अपने स्वास्थ्य को मॉनिटर करते रहें।

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डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी एक सूचना मात्र है. अपनाने से पहले सम्बंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.

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