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प्रादेशिक

400 करोड़ के टैंकर घोटाले में पूछताछ के लिए कपिल मिश्रा को समन

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नई दिल्ली। दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा (एसीबी) ने 400 करोड़ रुपये के कथित पानी टैंकर घोटाला मामले में जांच से जुड़ने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) से निलंबित कपिल मिश्रा को समन भेजा है।

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उन्हें मंगलवार को एसीबी कार्यालय में बुलाया गया है। एसीबी प्रमुख मुकेश कुमार मीना ने सोमवार को कहा, “हमने कपिल मिश्रा को मंगलवार को पूर्वाह्न् 11 बजे बुलाया है।”

इससे पहले एसीबी इस मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक सलाहकार विभव पटेल से भी 17 मई को पूछताछ कर
चुकी है।

एसीबी ने पटेल को 14 मई को समन भेजा था। उन्हें यह समन दिल्ली में मंत्री पद से बर्खास्त मिश्रा की इस शिकायत के बाद भेजा गया कि केजरीवाल के दो करीबियों पटेल तथा आशीष तलवार के कारण वाटर टैंक घोटाला मामले में कार्रवाई में देरी हुई।

हालांकि पटेल ने पूछताछ के दौरान इस मामले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया था। इसलिए एजेंसी ने मिश्रा को इस मामले में पूछताछ के लिए बुलाया है।

मिश्रा ने अपने आरोपों के समर्थन में सबूत सौंपने के बाद 11 मई को एसीबी में अपना बयान दर्ज कराया था। 400 करोड़ रुपये का कथित पानी टैंकर घोटाला पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुआ था। आरोप है कि निजी पानी टैंकर संचालकों को ठेका देने में अनियमितता बरती गई।

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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