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मुख्य समाचार

जेसप कंपनी के मालिक पवन रुइया दिल्ली में गिरफ्तार

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Pawan ruiaकोलकाता। रुइया समूह के चेयरमैन और इंजीनियरिंग कंपनी जेसप के मालिक पवन रुइया को शनिवार को नई दिल्ली स्थित उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें रेलवे द्वारा दर्ज चोरी की एक शिकायत के सिलसिले में पश्चिम बंगाल के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया।

सीआईडी के एक अधिकारी ने कहा कि दमदम स्थित जेसप फैक्ट्री परिसर से रेलवे की संपत्ति लापता होने के सिलसिले में रुइया पर धोखाधड़ी, बेईमानी और आपराधिक विश्वासघात को लेकर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
रुइया की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उनके कारोबारी समूह ने सवाल उठाया कि उन्हें इस मामले में कैसे घसीटा जा सकता है।

सीआईडी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, हजरत निजामुद्दीन स्थित उनके आवास से गिरफ्तारी के बाद उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर कोलकाता लाया जा रहा है।

रेलवे तथा सीआईडी के एक दल द्वारा चार नवंबर को संयुक्त तौर पर एक छापेमारी में जेसप फैक्ट्री से कथित तौर पर गायब 50 करोड़ रुपये मूल्य के रेलवे के उपकरण व कोच पाए जाने के बाद कोलकाता में रेलवे के उपनिदेशक ने दमदम पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज कराई थी।

रुइया पर कथित तौर पर न्यायालय के आदेश का उल्लंघन का आरोप है। न्यायालय ने उन्हें फैक्ट्री परिसर की सुरक्षा करने को कहा था। फैक्ट्री में अगलगी की भी कई घटनाएं हो चुकी हैं, जिसकी जांच अक्टूबर में सीआईडी को सौंपी गई है। सीआईडी ने रुइया को 26 अक्टूबर से लेकर पांच नवंबर के बीच चार बार समन जारी किया, लेकिन वह एक बार भी पेश नहीं हुए।

समूह ने रुइया की गिरफ्तारी पर आश्चर्य जताया है। समूह ने कहा, पवन रुइया जेसप एंड कंपनी लिमिटेड में किसी भी पद पर नहीं हैं। न तो वह निदेशक हैं और न ही कंपनी के शेयरधारक हैं। यहां तक कि वह जेसप के परिसर में भी नहीं रहते। समूह के मुताबिक, हम इस बात को समझ नहीं पा रहे हैं कि उन्हें मामले में कैसे घसीटा जा सकता है। खैर, उनके खिलाफ लगे सभी आरोपों से हम कानूनी तरीके से निपटेंगे।

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले फरवरी में पश्चिम बंगाल सरकार ने डनलप इंडिया तथा 228 साल पुरानी जेसप का अधिग्रहण करने के लिए एक विधेयक पारित किया था। जेसर रेलवे वैगन, ईएमयू के कोच तथा क्रेन बनाती है। टायर निर्माता कंपनी डनलप इंडिया भी रुइया की ही कंपनी है।

राज्य की ममता बनर्जी सरकार तथा दोनों कंपनियों के कर्मचारी समय-समय पर कंपनी पर आरोप लगाते रहे हैं कि रुइया का इरादा इन दोनों कंपनियों के संचालन का नहीं, बल्कि जमीन सहित उनकी संपत्तियों को बेचने का है। दूसरी तरफ, रुइया अपने इस रुख पर कायम रहे हैं कि उन्होंने कंपनियों की संपत्ति बेचने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें चलाने के लिए खरीदा था।

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नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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